डिप्टी स्पीकर पद के लिए सियासी संग्राम ..

प्रदेश में विधानसभा का बजट सत्र आगामी  7 मार्च से शुरू होना है !  विधानसभा में  डिप्टी स्पीकर का पद खाली है। बजट सत्र शुरू होने से पहले ही दोनों राजनैतिक दल कांग्रेस और भाजपा में डिप्टी स्पीकर के पद के चुनाव के लिए सियासी जंग शुरू हो चुकी है। इस पद के लिए दोनों ही दल आड़े हुए है !विपक्ष द्वारा पुरानी  परम्पराएं निभाये जाने की बात की जा रहीं है ! तो क्या मौजूदा दौर की राजनीति में नैतिकता , परम्परा , सुचिता और सिद्धांत जैसे शब्दों के अर्थ जाने कहाँ खो गए है , और इसकी परवाह भी किसे है ? भविष्य में इनका बजूद भी ज़िंदा रह पायेगा ? बुद्धिजीवी , प्रगतिशील विचारधार के लोगो से आग्रह है, आप जरा सोचीयेगा जरुर …. 

ज्ञातव्य हो कि पिछले  2 साल से मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्यवाही बिना डिप्टी स्पीकर के चल रही थी ,बर्ष 2020 जुलाई में रामेश्वर शर्मा को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया था। वे लगभग 8 महीने तक इस पद पर रहे।  उनके बाद किसी की भी नियुक्ति इस पद पर नहीं की गई ,  इसके बाद गिरीश गौतम को विधानसभा स्पीकर बनाया गया अब गौतम का 1 साल का कार्यकाल खत्म होने वाला है और करीब 2 साल से विधानसभा में डिप्टी स्पीकर का पद खाली …

इसी बीच कांग्रेस ने डिप्टी स्पीकर के पद  की मांग की है।  लेकिन भाजपा सरकार अपनी सुरक्षा बचाए रखने के लिए दोनों ही पद अपने पास रखना चाहती है, जिसके बाद बजट सत्र शुरू होने से पहले ही प्रदेश में खींचातानी जारी है। विपक्ष में बैठी कांग्रेस पुराने परंपरा को याद दिलाते हुए, डिप्टी स्पीकर के पद को कांग्रेस को देने की मांग सामने रखी है। पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि, बजट सत्र से पहले डिप्टी स्पीकर के नाम की घोषणा हो जानी चाहिए।

विधानसभा की परंपरा के अनुसार डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष की जिम्मेदारी है। लेकिन भाजपा ने कमलनाथ सरकार के दौरान स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों के पद कांग्रेस के पास होने पर सवाल उठाए हैं, जिस पर पीसी शर्मा का कहना है कि उस समय के हालातों के चलते वह फैसला लेने के लिए सरकार मजबूर हुई थी, लेकिन अब विधानसभा की पुरानी परंपरा दोबारा कायम करना ही सही होगा।