जाना परिस्थितकीय संतुलन एवं वन्यप्राणियो का महत्व ..

स्कूली बच्चो को वानिकी की गतिविधि एवं पर्यावरण की गतिविधि बताने के लिए जंगलों में प्रकृति की पाठशाला लगाई गई। वन विभाग व ईको पर्यटन विकास बोर्ड के मास्टर ट्रेनर्स और वनाधिकारियों ने जिस तरीके से बच्चो को प्रकृति की अनुभूति करवाई उससे आकर्षित होकर बच्चे घर वापस जाना ही नही चाह रहे थे। बच्चे और भी कुछ सीखने के लिए लालायित थे।ईको पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा अनुभूति कार्यक्रम के तहत छिंदवाड़ा छिंदी ग्राम के बच्चो को पातालकोट के अम्बामाई में प्रकृति भ्रमण करवाया गया।
इसी तरह पश्चिम हर्रई के शारदा माता मंदिर में भी प्रकृति भ्रमण कर अनुभूति कैम्प लगाया गया। इस अवसर पर मास्टर ट्रेनर संदीपसिंह चौहान,अमरवाड़ा एसडीओ आलोक वर्मा,रेंजर जेके मिश्रा, सुधीर पटले, विकास मिश्रा,रिटायर्ड रेंजर एमके मेहरा,डॉक्टर काशीराम कर्मवीर डिप्टी रेंजर विनोद पाण्डेय,हर्रई के विभिन्न स्कूलों के प्राचार्य,शिक्षक-शिक्षिकाएं वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।

वन विभाग के ईको विकास पर्यटन बोर्ड के मास्टर ट्रेनर संदीप सिंह चौहान ने बताया कि वन विभाग ईको विकास पर्यटन बोर्ड के द्वारा बच्चो और जन सामान्य में पर्यावरण संरक्षण, वन और वन्यप्राणी संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता लाने अनुभूति कार्यक्रम के तहत एक दिवसीय कैम्प लगाए जा रहे है।कैम्प में बच्चो ने सीखा कि वन विभाग की गतिविधिया कैसी होती है और वन और वन्यप्राणी मानव के लिए कितने आवश्यक है।हम वनों को बचाने में कैसे सहभगी हो सकते है।
कैम्प में सर्वप्रथम पक्षी दर्शन और वन्यप्राणी दर्शन के लिए वन भ्रमण करवाया गया। इसके बाद प्रकृति की पाठशाला के माध्यम से वानिकी की जानकारी और पर्यावरण गतिविधियों,औषधीय पौधे,लघु वनोपज के बारे में बताया गया।साथ ही वन और वन्यप्राणियो से सम्बंधित रोचक गतिविधियां,खेल और प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। कैम्प में सभी बच्चो को पुरुस्कार भी दिए गए।