कोरोना से ज्यादा घातक है परिवहन विभाग की कार्रवाई..

असंगठित कामगार कर्मचारी कांग्रेस छिंदवाड़ा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा के नेतृत्व में आटो चालक यूनियन के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर धरना देकर आटो चालकों पर परिवहन विभाग की ओर से की जा रही कार्रवाई पौने दो साल की कोरोना महामारी से ज्यादा घातक है, प्रशासन आटो चालकों को भुखमरी में धकेलने का काम करा है। कलेक्ट्रेट पहुंचकर दिए गए मांगपत्र में कलेक्टर महोदय से मांग की कि आटो चालकों पर की जा रही कार्रवाई तत्काल रोकी जानी चाहिए और जप्त किए गए आटो रिहा किए जाएं तथा कागज बनवाने पर आ रहे खर्च को प्रशासन प्रधानमंत्री के 20 लाख करोड़ के पैकेज से उठाए। धरने में कामगार कांग्रेस की आटो यूनियन के संयोजक सीताराम सरियाम, नरेंश इवनाती, प्रमोद शर्मा, संतोष भावरकर, अनिल साहू, मितेंद्र चंदेल, असलम भाई, विनय सहारे, बबलू नाग, कमलेश बिक्की डेहरिया सहित बड़ी संख्या में आटो चालक शामिल थे..
धरना स्थल पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कामगार कांग्रेस के जिला अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने कहा कि गुजरे पौने दो साल देश के हर नागरिक के लिए बहुत ही मुश्किल भरे रहे। कोरोना महामारी में काम-धंधे बुरी तरह प्रभावित रहे। आटो चालकों की जीविका बुरी तरह प्रभावित हुई। बैंकों से कर्ज लेकर जीवन यापन के लिए आटो खरीदे, कोरोना में खड़े रहे, किश्त जमा न होने के कारण बड़ी संख्या में आटो फाईनेंश कंपनियों ने जप्त कर लिए। कोरोना महामारी में आटो व्यवसाय से जुड़े कामगारों पर सबसे अधिक आर्थिक मार पड़ी है।
शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के भाषणों पर ही प्रशासन ईमानदारी से अमल करे, तब आटो चालकों पर हो रही कार्रवाई गैरजरूरी लगेगी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी ने कोरोना में गरीबों के लिए 20 लाख करोड़ का पैकेज जारी किया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान हर दिन सिंगल क्लिक में करोड़ों रुपए गरीब मजदूरों को डालते रहे। यह सारी राहतें, मददें कहां गईं? इनका एक छोटा सा हिस्सा यदि आटो चालकों को मिल जाता, तब शायद यह बिना कागजातों के आटो नहीं चला रहे होते।

कामगार कांग्रेस की मांग है कि प्रशासन आटो चालकों के कागजों का खर्च वहन कर उनकी मदद करे। परमिट, फिटनिश, बीमा आदि कागज बनवाने पर 12 से 15 हजार रुपए का खर्च है। पौने दो साल से आटो व्यवसाय पुरी तरह बंद रहा, इनके लिए एकमुश्ति 12-15 हजार रुपए का इंतजाम करना मुश्किल है। पौने दो साल तक कोरोना में आटो बंद रहे, अब प्रशासनिक कार्रवाई में बंद कराए जा रहे हैं, यह आटो व्यवसाय से जुड़े कामगारों को भुखमरी में धकेलने जैसी कार्रवाई है, जिसे तत्काल रोका जाना चाहिए। इसीलिए कामगार कांग्रेस का कहना है कि आटो चालकों पर की जा रही कार्रवाई कोरोना महामारी से ज्यादा घातक है।
कलेक्टर महोदय को दिए मांगपत्र में कामगार कांग्रेस ने आटो चालकों के लिए मांग की है कि 1- प्रधानमंत्री महोदय के 20 लाख करोड़ के पैकेज से आटो चालकों के कागज बनवाने का खर्च उठाया जाए, जिस पर 12-15 हजार रुपए तक खर्च आ रहा है। 2- अब तक आटो चालकों पर की गई कार्रवाई को वापस लेकर उनके जप्त आटो तत्काल छोड़े जाएं, जिससे वे अपनी जीविका चला सकें। 3- आटो चालकों को 16 किलोमीटर का परमिट दिया जाता है, यह बीसियों साल पुरानी व्यवस्था है। चूंकि अब शहर आकार ले चुका हैं, यहां 52 किलोमीटर का वायपास है, इसीलिए आटो चालकों को अब 30 किलोमाीटर का परमिट दिया जाना चाहिए। 4- शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए जरूरी है कि शहर में पर्याप्त आटो स्टैण्ड बनाए जाएं।