काबिलियत हासिल करने में डर सबसे बड़ा शत्रु है : प्रो. सिंह

छिंदवाड़ा/ चांद शासकीय बालक उ. मा. शाला में कैरियर मार्गदर्शन सप्ताह के अंतर्गत आयोजित क्षमता संवर्धन कार्यशाला ए मुख्य वक्ता बतौर बोलते हुए प्रो. अमर सिंह ने कहा कि कार्यसिद्धि हेतु कर्म में गुंजाइश छोड़ना घातक है। काबिलियत हासिल करने में डर सबसे बड़ा शत्रु है। स्वयं पर शंका करना क्षमता संवर्धन का दुश्मन है। अभावों को कोसना  कर्महीनों की अंतिम शरण है।काबिलियत संवर्धन किसी का विशेषाधिकार नहीं है। अपनी अंतर्निहित संभावनाओं की समझकर क्षमता विकास करके योग्यता बढ़ाई जा सकती है।
प्राचार्य चितरंजन दास जंघेला ने कहा कि बहाना बनाना कायरता की निशानी होती है। प्रवक्ता संगीत जैन ने बताया कि शत प्रतिशत फोकस से भविष्य में अफ़सोस नहीं होता है। गोविंद मेंहदोले ने कहा कि भय,संकोच,झिझक और शर्म आत्मविश्वास की कमी से उपजते हैं। एच. आर. चौधरी ने कहा कि हमें यह विश्व अपने नजरिए के अनुसार लगता है। कोई भी सफलता हमारी सोच की ऊंचाई पर निर्भर करती है।
अनिल तागड़े ने अपने उद्बोधन में कहा कि अनुशासन हमारे चित्त को स्थिर कर लक्ष्यागामी बनाता है। रोशनी मिश्रा ने बताया कि काबिलियत और कार्यसिद्धि हेतु स्टैमिना दोनों सहोदर भाई हैं। राजिख खान ने कहा कि वैचारिक शुचिता पारदर्शी सोच की ओर ले जाती है,जो गैर जरूरी काम से हमें अलग करती है। समीर कुरैशी ने कहा कि सौभाग्य के दरवाजे पसीने की चाबी से खुलते हैं।
सपना पाटिल ने बताया कि जीवन में जीवंतता नितांत आवश्यक है, वक्त मुठ्ठी में रेत की तरह फिसल जाता है। प्रार्थना जम्होरे ने कहा कि जो स्वयं की मदद करते हैं,ईश्वर उनकी मदद अवश्य करता है। कार्यशाला में 300 छात्रों ने सहभागिता सुनिश्चित की।