कांग्रेस में कमलनाथ के खिलाफ कूटनीतिक चाले ..

इसी साल आगामी जून माह में प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही हैं। वर्तमान समय में इनमें दो सीटों पर बीजेपी और एक पर कांग्रेस का कब्जा है। दोनों ही राजनैतिक दलों से दावेदारों की बड़ी लम्बी फौज है जो विजय पताका अपने हाथों में थमने को बेताब है। चुनाव से पहले एमपी में कांग्रेस की चिंता फिर से बढ़ गई है। ज्ञात हो कि बीते बर्ष 2020 में राज्यसभा की सीट और कमलनाथ के गुरुर के कारण ही कांग्रेस को सरकार से हाथ धोना पड़ा था । मौजूदा समय में फिर से चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है ! और फिर सर जोड़-तोड़ की ख़बरों से प्रदेश में कांग्रेस सहम और कमलनाथ के माथों पर सिलबाटे साफ़ झलकने लगी है ….राकेश प्रजापति

पार्टी के अन्दर ही कमलनाथ को दावेदारों ने अभी से तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। अरुण यादव तो कभी अजय सिंह (राहुल) , पचौरी और दिग्विजय सिंह इसकी कथापाट लिखने की तैयारियों में गोपनीय तरीके से योद्धा तैयार करने में जुट गए है !

कभी कमलनाथ के हनुमान कहे जाने बाले जीतू पटवारी अपना बस्ता किसी और टेबिल में सजाने को बेताब है ! साथ ही दिल्ली दौड़ भी जारी है। प्रदेश कांग्रेस में दावेदारों के दावों से पल्ला झाड़कर गेंदा आलाकमान के पाले में डाल रहे है।

अब तो कमलनाथ के सर्वमान्य होने को ही चुनौती देने की तैयारी चल रही है ! अलग-अलग खेमों के अपने-अपने चूल्हे तपने लगे है ! दाल के खदबदाने के शोर से प्रदेश कांग्रेस अनभिग्य नही है ! बेपरवाह है तो कमलनाथ के निज स्टाफ के चाकर ! ये ही अपने आका की नाव के छेद को बड़ा करने का काम कर रहे है ! जिसका खामियाजा कमलनाथ को उठाना पड रहा है ! अगर हालात ऐसे ही रहे तो नकुलनाथ की नाव डुबाने बाले भी ये ही खिवैया होंगे ?  वहीं दूसरी और भाजपा इस बार फिर किसी खेमे से दाल की हांड़ी हडपने के प्रयास में है ताकि प्रदेश की तीनो राज्यसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा हो जाय !

ज्ञातव्य है कि मध्यप्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें हैं, इनमें से आठ पर बीजेपी का कब्जा है। तीन सीट पर कांग्रेस काबिज है। जून में तीन सीटें खाली हो रही हैं। कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा की सीट खाली हो रही है। कांग्रेस में इसी सीट के लिए मारामारी मची हुई है। कई बड़े दिग्गज नेता इस सीट के लिए दिल्ली दौड़ लगा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश के कुछ दिग्गज नेता यह चाहते हैं कि पार्टी फिर से विवेक तन्खा को ही राज्यसभा भेजे !

मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे अरुण यादव भी अपने लिए फील्डिंग कर रहे हैं। अरुण यादव एमपी कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। पिछले दिनों दिल्ली जाकर उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी में वैसी पूछ परख नहीं है। राज्यसभा चुनाव से पहले वह मुखर हो गए हैं। उनके बारे में बीच-बीच में कई प्रकार की खबरें भी उड़ते रहती हैं। उनके तेवर प्रदेश कांग्रेस सहम गई है।

ज्ञात हो कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद जब कांग्रेस की सरकार बनी तो वह 15 महीने बाद ही गिर गई थी। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह राज्यसभा चुनाव ही थे । उस वक्त राज्यसभा की दो सीटें कांग्रेस के हिस्से में आ रही थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया एक सीट से राज्यसभा जाना चाहते थे। मगर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के आगे उन्हें तब्ब्जों नहीं दी। इसके बाद सिंधिया ने बगावत कर सरकार गिरा दी और भाजपा की तरफ से राज्यसभा में चले गए। ऐसे में सहमी कांग्रेस फूंक-फूंककर कदम उठा रही है।

मध्यप्रदेश विधानसभा में सीटों की संख्या 230 है। इनमें कांग्रेस के 96 विधायक हैं। बीजेपी के 127 विधायक हैं। बीएसपी के दो, सपा के एक और निर्दलीय चार विधायक हैं। राज्यसभा के तीन सीटों के लिए वोटिंग होगी। इनमें एक सीट को किसी भी दल को जीतने के लिए 58 वोट की जरूरत पड़ेगी। विधायकों की संख्या को देखते हुए बीजेपी के खाते में दो सीटें जाती दिख रही हैं। वहीं, कांग्रेस अगर निर्दलीय और दूसरे दलों की मदद भी लेती है तो एक सीट से ज्यादा नहीं जीत सकती हैं। वह भी अगर कांग्रेस के भीतर के हालात ठीक रहे तो !

इस चुनौती से कमलनाथ किस तरह से निपट पाते है यहीउनके पद और प्रतिष्ठा को बरकरार रख सकती है , बर्ना आगामी विधानसभा चुनाव किसी नए नेत्रत्व में लडे जाएगें इसके आसार अभी से दिखाई पड़ने लगे है ….जारी