” कविता दिव्य चेतना का गहरा सरोकार होती है “: कुलपति

म. प्र. आंचलिक साहित्यकार परिषद छिंदवाड़ा द्वारा सदस्य कवियों की कविताओं के तृतीय संस्करण “आंचलिका” काव्य चेतना के स्वर के आई. पी. एस. कॉलेज छिंदवाड़ा में आयोजित विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि बतौर बोलते हुए राजा शंकर शाह वि. वि. छिंदवाड़ा के कुलपति डॉ. एम.के. श्रीवास्तव ने कहा कि कविता गूढ़ प्रश्नों के समाधान अनुप्राणित औषधि होती है। काव्य संवेदना के गहरे सरोकार दुर्लभ मानव मूल्यों की निधि होते हैं। साहित्य समग्र राष्ट्र की संचित प्रखर चेतना का महासागर होता है। छिंदवाड़ा के कवियों ने साहित्य के इन निहित उद्देश्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन किया है..

कार्यक्रम अध्यक्ष ख्यात साहित्यकार डॉ. के. के. श्रीवास्तव ने कहा कि कवि की रचनाधर्मिता वंचितों के हक की पीड़ा की आवाज़ होती है। कोई भी लोक साहित्य राष्ट्र एकीकरण की मिसाल होता है। छिंदवाड़ा के पूर्व और वर्तमान के साहित्य मनीषियों ने रचना धर्म को अपने खून पसीने से सींचकर उत्कृष्ट ऊंचाई प्राप्त की है। समारोह में संस्था के सदस्य श्री संजय सोनी के काव्य संग्रह “सारस” व गीता पर काव्य “श्रीमुख सार” का अतिथियों के हस्ते विमोचन किया गया। संस्था के अध्यक्ष श्री अवधेश तिवारी ने आंचलिका के सभी यशस्वी रचयिताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी कविताओं के प्रभा पुंज साहित्य उद्यान के वे पुष्प हैं जिनकी खुशबू से शहर का मान बढ़ता है और पाठक सृष्टा से दृष्टा बन जाते हैं।

आई पी एस कॉलेज के प्राचार्य डॉ.जैमिनी खानवे ने साहित्य को राजधर्म के अनुपालन में जरूरी मार्गदर्शन का सजग प्रहरी कहा। कार्यक्रम में दिवंगत कवियों की अमूल्य सेवाओं के लिए श्री शिवशंकर लाल शुक्ल की धर्मपत्नी श्रीमती विमला देवी शुक्ला, जनाब गुलाम मध्यप्रदेशी के बेटे आबिद खान और शिवराम विश्वकर्मा की पुत्री राजश्री को कुलपति के हस्ते आभार पत्र प्रदान किया गया जिसको उन्होंने भावभीने वातावरण में स्वीकार किया। साथ ही दिवंगत कवियों यथा हनुमंत मनघटे, अब्बास खान संगदिल एवं प्रकाश शर्मा की सेवाओं का पुण्य स्मरण किया गया।

आईपीएस कॉलेज की छात्रा शिरिन घई को एमएससी माइक्रोबायोलॉजी में गोल्ड मेडल, किरन सोनी, अंजलि साहू एवं प्रशांत देशमुख की विशेष उपलब्धियों हेतु सम्मानित किया गया। संस्था सचिव श्री रामलाल सराठे ने अपने उद्बोधन में कहा कि कविता जनमानस को ब्रह्मांड के विराट सत्य, नैतिकता और मुक्ति के यथार्थ से भेंट कराती है। काव्य समीक्षक प्रो. कलमधार ने शहर के बिछुड़े कवियों की काव्य यादों को समेंटते हुए कहा कि कवि भविष्य में सुधार के लिए वर्तमान में गुजरे हुए समय की खामियों से सबक लेकर अपने विचार पिरोता है।

मंच संचालक कवि श्री के. के. मिश्रा ने कविता को माया के आवरण को हटा आराधक से आराध्य बनने का जरिया बताया। समारोह में मंच पर श्री के.पी.तिवारी, प्रो.राजेंद्र मिश्रा एवं वरिष्ठ कवि रत्नाकर रतन, प्रभु दयाल श्रीवास्तव, नंद कुमार दीक्षित, नेमीचंद व्योम, प्रो.अमर सिंह, प्रत्यूष जैन, राजेंद्र यादव, संगीता श्रीवास्तव व संस्था के अन्य समस्त कवियों की गरिमामई उपस्थिति रही।