जीवन में भागने से नहीं जूझने से चमत्कार होते हैं ….

विश्व गीता प्रतिष्ठान द्वारा छिंदवाड़ा के पूजा लॉन सभागार में आयोजित गीता स्वाध्याय शिक्षा वर्ग के अवसर पर अथिति वक्ता बतौर बोलते हुए प्रो.अमर सिंह ने कहा कि गीता मानवीयता को संकट से उबारने की दिव्य कृति है। आज तक गीता की टक्कर की जीवन प्रबंधन की कोई कृति बनी ही नहीं है। गीता ज्ञान से जीवन का दैवीय रूपांतरण संभव है। गीता प्रबुद्ध वचनों का अमृत कलश है। योगेश्वर की वाणी जनमानस के उद्धार के लिए है। गीता आध्यात्मिक चेतना का महाप्रसाद है। गीता का दर्शन बताता है कि अहम त्याग से ही गहन रसानुभूति संभव है ।

ग्वालियर से पधारे गीता मर्मज्ञ श्री विष्णु नारायण तिवारी ने कहा कि जिंदगी में भागने से नहीं, जूझने से चमत्कार होते हैं। कर्म के आगे किस्मत घुटने टेक देती है। जीवन में मुश्किलें काबिलियत परीक्षण की प्रयोगशाला होती हैं ।

शिवपुरी से पधारे गीता वाचक श्री विष्णु प्रसाद शर्मा ने कहा कि हमारे विचार असीम बल उत्पत्ति का रहस्य हैं । आत्मदर्शन हेतु सभी शास्त्रों का निचोड़ है। दमोह में आए गीता विद्वान महेश पांडे ने कहा कि गीता दर्शन कर्म यज्ञ से सिद्धि सामर्थ्य प्रदात्री है और परमानंद की परमानुभूति का रसास्वादन करवाती है ।

उज्जैन से पधारे श्री प्रहलाद गुप्ता ने कहा कि गीता सर्वकालिक सर्वमान्य सर्वोत्कृष्ट अभिव्यक्ति है। गीता दर्शन भय, संदेह, भ्रम, अंतर्द्वंद्व और जीवन की तमाम उलझनों का समाधान है ।

सप्तोत्सव प्रमुख श्री नेमीचंद व्योम ने कहा कि यकीन, संकल्प और लगन हमें बंधी बंधाई सीमाओं से बाहर निकालती है। गीता हमें अवास्तविक और काल्पनिक सुखों के भंवर से बाहर निकालती है। गीता व्यक्तित्व विकास का दृष्टिपथ है। श्री नरेंद्र सिंह वर्मा के मार्गदर्शन में श्री एम. एल. मेंहगिया योग शिक्षक के द्वारा योगासन प्राणायाम करवाया गया। अभ्यास वर्ग में सैकड़ों की संख्या हुई गीता प्रेमियों ने सहभागिता सुनिश्चित की।