700 कचरा बीनने वालों की जिन्दगी में उम्मीद की किरण….

डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करने की योजना ने कई कचरा बीनने वालों के सामने पैदा कर दिया था आजीविका का संकट…… 
अब प्रतिदिन कमाते हैं 400 रुपये, मिलती है बीमा और भविष्य निधि जैसी सुविधाएं…..

इंदौर नगर निगम ने शहर के 700 कचरा बीनने वालों की जिन्दगी में उम्मीद की किरण जगाई है। निगम ने अपने ट्रेंचिंग ग्राउंड पर लगभग 700 कूड़ा बीनने वालों को काम पर रखा है। कुछ साल पहले इंदौर नगर निगम द्वारा डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करने की योजना लागू की गई थी। सड़कों पर उठाने के लिए कूड़ा न होने की वजह से कई कचरा बीनने वालों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया था।  लेकिन निगम की इस पहल से अब उनकी जिन्दगी में स्थिरता आ गई है। आइए जानते हैं इनमें से कुछ कर्मचारियों की कहानी उनकी जुबानी…

पहले प्रतिदिन 150 रुपये की करते थे कमाई, अब प्रतिदिन मिलते हैं 400 रुपये :- एएनआई से बातचीत के दौरान ट्रेंचिंग ग्राउंड में तैनात कर्मचारी संगीता बताती हैं कि पहले मैं सड़कों, गलियों आदि से कचरा उठाया करती थी। इस काम के जरिए प्रतिदिन 150 रुपये की कमाई कर लेती थी। किंतु मुश्किल से 150 रुपये प्रतिदिन कमा पाती थी। यहां मैं प्रतिदिन 400 रुपये के साथ-साथ भविष्य निधि, परिवार के सदस्यों के लिए बीमा आदि सुविधाएं मिल रही हैं।

गर्मी हो या बारिश, पेट भरने के लिए घर से निकलना ही पड़ता था :- कर्मचारी राधा गोयल बताती हैं कि मैं यहां काम करने से पहले सड़कों से कचड़ा बीनती थी। चाहे बारिश हो, गर्मी हो या फिर सर्दी, हमें अपना पेट भरने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ता था। लेकिन यहां चीजें आसान हो गई हैं। कंपनी हमें हैंड ग्लव्स, फेस मास्क और हेडकवर प्रदान करती है।

वो काफी कठिन दौर था, लेकिन आज सब कुछ व्यवस्थित है :- एक अन्य कर्मचारी सोनू नांदले बताती हैं कि वो समय हमारे लिए बहुत कठिन था। अपने कंधों पर बहुत भार उठाकर चलना पड़ता था, समय पर भोजन नसीब नहीं होता था। एक गंदी जिंदगी जीनी पड़ती थी।  लेकिन अब सब चीजें व्यवस्थित हैं। हम समय पर भोजन कर पाते हैं, आने-जाने के लिए कंपनी द्वारा बस की सुविधा प्रदान की गई है और प्रतिदिन 400 रुपये की कमाई हो जाती है।

पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत हुई है 700 कर्मचारियों की भर्ती :- नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल बताती हैं कि इस पहल का श्रेय स्वच्छ भारत मिशन -शहरी को जाता है, जिसका उद्देश्य कूड़ा बीनने वालों को कौशल बनाना है ताकि वे भविष्य में एक संगठित क्षेत्र में काम कर सकें। हमने 700 श्रमिकों को पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत काम पर रखा है।

गुजरात स्थित कंपनी ‘नेप्रा’ को कचरा पृथक्करण (वेस्ट सेग्रीगेशन) का काम दिया गया है। यहां 700 में से 400 कर्मचारी काम करते हैं, वहीं नगर निगम में कंपोस्ट मैन्योर की प्रोसेसिंग में 300 कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं। पहले वे प्रतिदिन लगभग 150 रुपये कमाते थे। अब वे प्रतिदिन 400 रुपये कमाते हैं। इससे उनकी जीवनशैली में काफी सुधार आया है।                                                                                                  साभार : मिडिया रिपोर्ट