24 को जिला पंचायत का घेराव करेगी कामगारों की कांग्रेस

श्रमिक जागरूकता अभियान के जरिए मनरेगा मजदूरों, ग्रामीण गरीबों को संगठित करने के लिए परासिया के खिरसाडोह में कामगार कांग्रेस के ब्लाक अध्यक्ष रमन ब्रम्हे की अध्यक्षता में चौपाल लगाई गई जिसमें संगठन के जिला अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने “कामगारों की कांग्रेस” के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए जितने भी कानून बने, योजनाएं शुरू हुई वे सभी कांग्रेस की सरकारों में बनीं और शुरू हुई हैं, उन्हीं योजनाओं का शोर 18 साल से शिवराज मचा रहे हैं, मोदीजी भी उन्हीं योजनाओं का गाना गा रहे हैं..

चौपाल में युवक कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल काकोडिया, कामगार कांग्रेस खिरसाडोह क्षेत्रीय अध्यक्ष शहताप खोवारिया, लक्की उईके, रामनाथ उईके, विशाल उईके, उमेश विश्वकर्मा, सालिकराम इवनाती, दिलीप बट्टी, जितेन्द्र उईके, मंगेश पवार, केशराव पवार, मनोज मरकाम, नीलेश कुमरे, इन्द्रशाह उईके, प्रमोद डेहरिया सहित बडी संख्या में महिलाएं उपस्थित रहीं। ब्लाक अध्यक्ष रमन ब्रम्हे ने श्रमिक चौपाल में उपस्थित मजदूरों की मनरेगा में काम दिलाने, आवास योजना का फायदा दिलाने के लिए 24 मार्च को जिला पंचायत पर प्रदर्शन करने का प्रस्ताव रखा, जिस पर सभी ने सहमति जताते हुए सैकडों की संख्या में प्रदर्शन में शामिल रहने का संकल्प लिया।

कामगार कांग्रेस के जिला अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने श्रमिक चौपाल को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में 18 साल से भाजपा की सरकार है, जिसने सबसे अधिक अन्याय गरीब मजदूरों के साथ किया है। केंद्रीय मंत्री रहते हुए माननीय कमलनाथजी ने गरीब मजदूरों को पक्के मकान दिलाने के लिए 2011 में सर्वे कराया था, कच्चे मकानों को पक्का बनाया जाना था, आज उक्त सर्वे को 11 साल हो गए लेकिन खिरसाडोह सहित किसी भी गांवों में गरीब मजदूरों को पक्के मकान नहीं, 2011 में ही कांग्रेस की केंद्र सरकार से कमलनाथजी ने मध्य प्रदेश सरकार को गरीबों के आवास के लिए पर्याप्त फण्ड उपलब्ध करवाया था, इसके बावजूद भी भाजपा की सरकार गरीब मजदूरों को आवास मुहैया नहीं करा पाई, लगता है भाजपा सरकार गरीबों के मकानों का पैसा भी खा गई है, जिला पंचायत अध्यक्ष भी भाजपा की थीं जिन्होंने अपने ड्राईवर के पांच पक्के आवास बनवा दिए लेकिन गरीब दलित आदिवासियों को आवास नहीं दिए।

भाजपा गरीब मजदूर विरोधी है जिसने गांवों के गरीब मजदूरों के साथ अन्याय किया है, जिसके कारण न तो गांव के गरीब को मकान मिले, न ही रोजगार गारंटी में काम मिलता है। 23 हजार रूपए इनकम की गारंटी देने वाली रोजगार गारंटी में मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है, ग्रामीण गरीबों को रोजगार देने वाली मनरेगा को मोदी-शिवराज मिलकर मजदूरों से छीन लेना चाहते हैं इसलिए मनरेगा के बजट में कटौतियां की जा रही हैं, श्रमिकों को एकजुट होकर मनरेगा को बचाने की लडाई लडनी होगी। शर्मा ने श्रमिकों से अपील की कि कामगार कांग्रेस से जुडकर अपने अधिकारों के लिए संगठित होकर संघर्ष करने एकजुट हों और अपना मजबूत संगठन तैयार करें।

कामगार कांग्रेस के जिला अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने हर पंचायत, हर गांव में इसी तरह की श्रमिक चौपाल लगाने की जरूरत बताते हुए कहा कि गांव की मजदूर बस्तियों में “श्रमिक समितियां” बनाएं, जो श्रमिकों को उनके अधिकारों की जानकारी देने का काम करेंगी।