हाईकोर्ट ने एडीजीपी ,एस पी और सिविल सर्जन को हटाने के आदेश दिए ..

छिंदवाड़ा :- राज्य स्तरीय विजिलेंस एवं मॉनिटरिंग कमेटी को दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी पुलिसकर्मी अजय साहू के डीएनए सैंपल से छेड़छाड़ के दोषी अधिकारियों के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं !न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने रजिस्टार को आदेश दिए कि डीएनए से जुड़े दो जांच रिपोर्ट के साथ इस आदेश की प्रति मुख्य सचिव के माध्यम से कमेटी को भेजें ! इसी के साथ माननीय उच्च न्यायालय ने आरोपित की ओर से प्रस्तुत जमानत आवेदन भी निरस्त कर दिया है !

माननीय उच्च न्यायालय ने एडीजीपी उमेश जोगा और छिंदवाड़ा पुलिस अधीक्षक विवेक अग्रवाल सहित सिविल सर्जन शिखर सुराना को हटाए जाने के आदेश दिए !

जबलपुर निवासी जो वर्तमान में छिंदवाड़ा में पदस्थ पुलिस आरक्षक अजय साहू के खिलाफ छिंदवाड़ा अजाक थाने में दुष्कर्म व एससी एसटी की विभिन्न धाराओं उनके तहत प्रकरण पंजीबद्ध हुआ था !

आरोपित को 13 नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया गया था ! दुष्कर्म के बाद पीड़िता गर्भवती हो गई थी और उसका गर्भपात कराया गया ! डीएनए सैंपल ठीक से सुरक्षित नहीं रखा गया ! इस लापरवाही को माननीय उच्च न्यायालय ने गंभीरता से लिया है !

एडीजीपी ने बिना विचार किए हैं रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर दिए :- जबलपुर जोन के एडिशनल डीजीपी ने 20 अप्रैल 2022 को हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपी ! पुलिस द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने पाया कि सिविल सर्जन शिखर सुराणा ने हाईकोर्ट को गलत जानकारी उपलब्ध कराई !

माननीय उच्च न्यायालय ने कहा कि एडीजीपी उमेश जोगा ने बिना विचार किए गैर जिम्मेदाराना तरीके से रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर दिए ! जबकि उक्त रिपोर्ट पर स्टाफ नर्स के बयान दर्ज नहीं थे ! माननीय उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपी 1 पुलिसकर्मी है इसलिए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि उच्चाधिकारियों ने उसे बचाने की कोशिश की है !

सीबीआई का मामला स्थानांतरित करें :- अधिकारियों को माननीय उच्च न्यायालय ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में एडीजीपी जबलपुर ,पुलिस अधीक्षक ,सिविल सर्जन आदि की भूमिका संदिग्ध है और उनके आचरण की जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए था ! क्योंकि अब संबंधित अधिकारी अपनी भूमिका निभा चुके हैं और सैंपल की जांच नहीं हो सकती इसलिए सभी संबंधित अधिकारियों को प्रदेश के दूरदराज क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाए ताकि वे गवाहों को प्रभावित नहीं कर सके !

इस तरह छिंदवाड़ा जिले के नौकरशाहों के आचरण को माननीय न्यायालय ने गैर जिम्मेदाराना तरीके से दर्शाते हुए उनके खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए राज्य शासन को उन्हें हटाने के निर्देश दिए हैं ! अब देखना यह होगा कि माननीय माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का अक्षरश: पालन कब तक होता है ?