हमारी यात्रा का वह प्रारंभ बिंदु था….

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 96वां स्थापना दिवस के मौके पर नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में परेड का आयोजन किया गया। मंच पर संघ प्रमुख मोहन भागवत मौजूद रहे। भागवत  ने विजयादशमी के अवसर पर स्वयंसेवकों को संबोधित किया। भागवत ने कहा- यह वर्ष हमारी स्वाधीनता का 75वां वर्ष है। 15अगस्त 1947को हम स्वाधीन हुए। हमने अपने देश के सूत्र देश को आगे चलाने के लिए स्वयं के हाथों में लिए। स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर हमारी यात्रा का वह प्रारंभ बिंदु था….

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जिस शत्रुता और अलगाव के कारण विभाजन हुआ उसकी पुनरावृत्ति नहीं करनी है। पुनरावृत्ति टालने के लिए, खोई हुई हमारे अखंडता और एकात्मता को वापस लाने के लिए उस इतिहास को सबको जानना चाहिए। खासकर नई पीढ़ी को जानना चाहिए। खोया हुआ वापस आ सके खोए हुए बिछड़े हुए वापस गले लगा सकें।

उन्होंने कहा कि विश्व को खोया हुआ संतुलन व परस्पर मैत्री की भावना देने वाला धर्म का प्रभाव ही भारत को प्रभावी करता है। यह ना हो पाए इसीलिए भारत की जनता, इतिहास, संस्कृति इन सबके विरुद्ध असत्य कुत्सित प्रचार करते हुए, विश्व को तथा भारत के जनों को भी भ्रमित करने का काम चल रहा है।