सरकार की बदनीयत से खत्म हुआ OBC आरक्षण: कमलेश्वर पटेल

प्रदेश में चल रहे पंचायत चुनाव में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण समाप्त किए जाने के मामले में मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार और उसके मंत्री लगातार कांग्रेस पार्टी पर झूठे आरोप लगा रहे हैं। पूरे प्रदेश को यह बात अच्छी तरह से पता है कि अगर ओबीसी आरक्षण के लिए किसी भी स्तर पर कोई भी प्रयास किया गया है तो वह कांग्रेस पार्टी की ओर से किया गया है। अपनी बेईमानी छुपाने के लिए भाजपा के नेता उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत चरितार्थ कर रहे हैं। पूर्व मंत्री एवं विधायक कमलेश्वर पटेल ने आज भोपाल में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए यह बात कही ..
श्री पटेल ने कहा कि इस विषय को ध्यान पूर्वक क्रमशः देखने की आवश्यकता है। सबसे पहले माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में बात की जाए। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी ने ना तो हाईकोर्ट में और ना ही सुप्रीम कोर्ट में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया को चुनौती दी। अलग-अलग पक्षकार अपना पक्ष लेकर हाईकोर्ट में गए थे। कुछ पक्षकार भारतीय जनता पार्टी के नेता भी हैं।
इन पक्षकारों ने भी हाईकोर्ट में रोटेशन प्रणाली को चुनौती दी थी। यही मामला बाद में सुप्रीम कोर्ट में गया। सुप्रीम कोर्ट में भी पक्षकारों ने सिर्फ रोटेशन की बात की। माननीय उच्चतम न्यायालय ने बिना किसी फरियाद के ही ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने का फैसला सुनाया है। इस बारे में अगर शिवराज सिंह चौहान सरकार को कुछ करना था तो माननीय उच्चतम न्यायालय में उसके वकीलों को तुरंत अपनी राय रखनी चाहिए थी। लेकिन राज्य सरकार के वकीलों के मुंह में उच्चतम न्यायालय में दही जम गया और अब भारतीय जनता पार्टी ओबीसी के साथ किए गए भाजपा के अत्याचार का ठीकरा कांग्रेस के सिर फोड़ने की कोशिश कर रही है।
श्री पटेल ने कहा शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रियों ने संविधान की शपथ ली है, जिसमें सत्य बोलना शामिल है। लेकिन संवैधानिक पद पर बैठकर भाजपा के मंत्री अनर्गल झूठे आरोप लगा रहे हैं। यह न सिर्फ जनता के साथ धोखा है बल्कि संविधान का भी अपमान है।
श्री पटेल ने मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण का इतिहास बताते हुए कहा कि ओबीसी के लिए सबसे पहला कदम कांग्रेस की तत्कालीन अर्जुन सिंह सरकार ने उठाया था। श्री अर्जुन सिंह ने 5 सितंबर 1980 को स्वर्गीय विधायक श्री राम जी महाजन की अध्यक्षता में ओबीसी को सामाजिक न्याय देने के लिए महाजन आयोग का गठन किया था। कांग्रेस सरकार ने 22 दिसंबर 1983 को महाजन आयोग की ओबीसी हितैषी सिफारिशें लागू कर दी। उसके बाद कांग्रेस की ही श्री दिग्विजय सिंह सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग को नौकरियों में 14 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया। उसके बाद 2003 में कांग्रेस सरकार ने ही ओबीसी को नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया।
श्री पटेल ने कहा कि उसके बाद से प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और बीजेपी और आरएसएस ने साजिश करके माननीय न्यायालय में खराब पैरवी की और कांग्रेसी सरकार की ओर से लागू 27 प्रतिशत आरक्षण को समाप्त हो जाने दिया।
श्री पटेल ने कहा कि उसके बाद 2019 में कांग्रेस की श्री कमलनाथ सरकार ने एक बार फिर से ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया। इस आरक्षण को समाप्त कराने की साजिश मध्य प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार रच रही है। माननीय हाईकोर्ट में यह मामला विचाराधीन है, लेकिन शिवराज सिंह चौहान सरकार की ओर से सरकारी वकील लगातार उच्च न्यायालय में पेश नहीं हुए और अंततः माननीय उच्च न्यायालय ने ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण की सुनवाई अनिश्चितकाल के लिए टाल दी।
श्री पटेल ने कहा कि कंेद्र में श्री राजीव गांधी की सरकार ने पहली बार 73 वां एवं 74 वां संविधान संशोधन अधिनियम पारित कर संविधान में भाग 9 एवं 9 अ जोड़कर एवं अनुच्छेद 243 ए से लेकर 243 जेड़ जी जोड़कर पंचायत एवं नगर पालिकाआंे को संवैधानिक दर्जा दिया। जिसके पालन मंे श्री दिग्विजय सरकार ने मप्र में मध्यप्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1993 एवं मप्र नगर पालिका अधिनियम को लागू किया। इसी सरकार ने अनेक आयोग एवं समितियां गठित कर प्रत्येक ग्राम, तहसील, जिले का सर्वे कराया एवं आर्थिक-सामाजिक रूप से पिछड़ी हुई जातियों की सूचियां तैयार की।
वर्तमान पंचायत चुनाव के मामले में भी अगर भारतीय जनता पार्टी सरकार बेईमानी से काम नहीं करती और 2019 में माननीय कमलनाथ सरकार के द्वारा लागू किए गए परिसीमन के आधार पर ही चुनाव कराती तो कोई भी संवैधानिक विसंगतियां उत्पन्न नहीं होती। ओबीसी को पंचायतों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व ना मिल सके, इसके लिए जानबूझकर शिवराज सिंह चौहान सरकार ने माननीय कमलनाथ सरकार द्वारा लाए गए परिसीमन को खत्म करके पुराने परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने का फैसला किया। कांग्रेस पार्टी ने उसी समय सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट कर दिया था कि शिवराज सिंह चौहान सरकार का यह फैसला असंवैधानिक है। आज इसी असंवैधानिक फैसले के कारण ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हुई कि पंचायत चुनाव में ओबीसी का आरक्षण समाप्त कर दिया गया।
श्री पटेल ने कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी के नेता जो भ्रम फैला रहे हैं कि कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय में ओबीसी आरक्षण का विरोध किया तो मैं आपके सामने सुप्रीम कोर्ट में हुई कार्यवाही की मिनट टू मिनट रिपोर्ट पेश कर रहा हूं, उसे देखकर आप खुद ही बता दें कि कांग्रेस पार्टी या पक्षकारों ने कहीं भी ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने या उसकी समीक्षा करने या उस पर विचार करने की बात कही हो? माननीय उच्चतम न्यायालय में जो बात रखी ही नहीं गई उस बात को झूठे तौर पर जनता में फैला कर शिवराज सरकार के मंत्री ना सिर्फ झूठ बोल रहे हैं बल्कि माननीय उच्चतम न्यायालय की अवमानना भी कर रहे हैं।
श्री पटेल ने कहा कि अगर राष्ट्रीय स्तर की बात करें तो 1995 में कांग्रेस की केंद्र सरकार के द्वारा ही 77 वे संविधान संशोधन के द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति की तरक्की के लिए आरक्षण का समर्थन करते हुए अनुच्छेद 16 (4) ए का गठन किया गया था। उन्होंने कहा कि 2006 में श्रीमती सोनिया गांधी के निर्देशन पर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी की कांग्रेस सरकार ने केंद्र सरकार के शिक्षण संस्थानों में प्रवेश हेतु ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण कोटे का प्रावधान किया था। इस तरह से आप देखें तो प्रदेश स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस की सरकारों ने ही ओबीसी और वंचित तबकों के हित में फैसले लिए हैं। मध्यप्रदेश में ना तो उमा भारती सरकार, ना बाबूलाल गौर सरकार और ना 15 साल की शिवराज सिंह चौहान की भाजपा सरकार ने कभी भी ओबीसी आरक्षण बढ़ाने या लागू करने के बारे में कोई भी फैसला नहीं लिया।
पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस महामंत्री और चुनाव आयोग कार्य प्रभारी जेपी धनोपिया ने कहा कि पंचायत चुनाव में कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा के लोग कोर्ट गये थे। जिस याचिका में उच्चतम न्यायालय में पिछड़े वर्ग के सम्बंध में आदेश जारी किया है उस याचिका में भाजपा ज़िला पंचायत अध्यक्ष रहे संदीप पटेल भी शामिल हैं ।
श्री धनोपिया ने कहा कि ओबीसी के सम्बंध में कोर्ट ने जो निर्णय दिया है उस याचिका में ओबीसी के बारे में कहीं कोई उल्लेख ही नहीं है। कोर्ट ने अपनी मर्ज़ी से यह निर्णय इसमें जोड़ दिया और सरकार तथा निर्वाचन आयोग के वकील वहाँ थे, उन्होंने ओबीसी के बचाव में एक भी शब्द नहीं बोला।
पत्रकार वार्ता के अंत में सवालों का जवाब देते हुए कमलेश्वर पटेल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हर स्तर पर बीजेपी को बेनकाब करेगी। जनता से यह सच्चाई छुप नहीं सकती कि भारतीय जनता पार्टी ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने की साजिश कर रही है। ओबीसी को पंचायत में आरक्षण दिलाने के लिए कांग्रेस पार्टी सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है और माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में उचित फैसला लेगी।