पूर्व वनमंडल में 60 लाख की सामूहिक लूट ….

कैंपा परियोजना के अंतर्गत प्रदाय की जाने वाली राशि का किस तरह से दुरुपयोग छिंदवाड़ा जिले में हो रहा है इसका आकलन करना बड़ा मुश्किल है कैम्पा में आई राशि की खुली लूट विभिन्न मंडलों में जारी है इसी के चलते छिंदवाड़ा जिले के पश्चिम बटकाखापा और तत्कालीन प्रभारी पूर्व बटकाखापा के वन परीक्षेत्र अधिकारी मनेंद्र सिंह जयंत उनके सहयोगी प्रभारी बालकराम सिरसाम, अमरवाड़ा एसडीओ आलोक वर्मा ,वनपाल वीरेंद्र श्रीवास्तव उर्फ विरू बाबू जो फील्ड में नहीं जाता वल्कि ऑफिस का काम देखता है के गिरोह ने मिलकर कैंपा मद के ६० लाख की राशि को डकारने का काम किया है वन विभाग के द्वारा कैंपा मध्य में इस राशि का दुरुपयोग बहुत बड़े पैमाने पर किया गया है ! कार्य स्थल का निरीक्षण करने पर कैम्पा की राशि जिस कार्य के

लिए खर्च की जानी थी उस कार्य का नामोनिशान इस वन मंडल के अंतर्गत नहीं है केंद्र शासन द्वारा प्रदत्त की गई राशि का किस तरह से दुरुपयोग किया गया है

 इसकी बानगी पूर्व वन मंडल में देखने को मिल जाएगी ! सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2019 20 दिसंबर त्रैमास के अंतर्गत खर्च की जाने वाली इस राशि को विभागीय अधिकारियों ने जिसे योजनाबद्ध तरीके से कैंंपा के नाम पर बंदरबांट की है ! इसकी जांच होना अब आवश्यक है यह कारनामा ना केवल पूर्व वन मंडल के अंतर्गत हुआ है बल्कि छिंदवाड़ा जिले की जितने भी बन मंडल हैं उसके अंतर्गत कैंंपा की राशि की लूट मची हुई है पूर्व वन मंडल वैसे भी भ्रष्टाचार के मामले में कुख्यात है ! तत्कालीन सीसीऍफ़ केके गुरवानी के नेतृत्व में किया गया भ्रष्टाचार का तांडव अब सबके सामने है 60 लाख की राशि डकारने के लिए इस गिरोह ने बहुत ही शातिर तरीके से कैरी को अंजाम दिया है अब कैंंपा मद के राशि से किए गए कार्यों की समीक्षा करने की मांग और इसकी जांच की मांग बलवती होती जा रही है
अधिनियम के प्रावधानानुसार अधिनियम की भावना को देखते हुए कैम्पा कोष का पैसा उसी मद में खर्च होना चाहिए जिसके लिए ये दिया जाता हैकैम्पा (क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण). एक कोष है जिसकी स्थापना 2006 में क्षतिपूरक वनीकरण के प्रबंधन के लिए की गई थी. 2002 में सर्वोच्च न्यायालय ने यह टिपण्णी की थी कि वनीकरण के लिए राज्यों को दिए गये कोष का पर्याप्त उपयोग नहीं हो रहा था और इसलिए उसने आदेश किया कि इन कोशों को केन्द्रीय स्तर पर समेकित करके एक क्षतिपूरक वनीकरण कोष बनाया जाए. इस अधिनियम का मुख्य ध्येय वन क्षेत्रों में होने वाली कमी के बदले प्राप्त राशि का संधारण और उसका वनीकरण में फिर से निवेश करना है.                                     साभार : सोशलिस्ट एक्सप्रेस