जीवन का अन्वेषण कर अंतर्निहित संभावनाओं की तलाश …

जीवन का अन्वेषण कर अंतर्निहित संभावनाओं की तलाश, सपनों पर योजनाबद्ध फोकस किसी भी व्यक्ति को सफलता के द्वार खोल सकता है। कुछ अलहदा करने करने की चाहत, कर्म को ही धर्म और रीति नीति प्रीति के व्यवहार से लोग दूसरों के हृदय में जगह बना लेते हैं। जब देश बहुत देता है, तो उसे लौटाने की चाहत जीवन के मकसद को पूरा करती है। प्रो. सिंह निरंतर अभ्यास से उत्कृष्टता प्राप्ति की बात कहते हैं। जीवन को जो हम देते हैं, जीवन वही हमें लौटाता है। पुरुषार्थ से प्रारब्ध निर्माण, कर्म यज्ञ से अपनी किस्मत खुद लिखना और जो हम हैं और जो हो सकते हैं, के अंतराल को भरना हर मनुष्य के जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।जीवन की खाली किताब पर कर्मों की स्याही से लिखा जाता है। अभावों में जीने वाले लोग अकूत शक्ति की गुंजाइश के धनी होते हैं। शिक्षा स्वयं के अधिकतम प्रकटीकरण का सूत्र है …प्रो. सिंह ने बनाया कोरोना त्रासदी में 250 प्रेरक व्याख्यानों का रिकॉर्ड……
                व्यक्ति अगर ठान ले तो कुछ भी हासिल कर सकता है।चांद कॉलेज में पदस्थ मोटिवेशनल स्पीकर प्रो.अमर सिंह ने कोरोना त्रासदी से उत्पन्न अवसाद को दूर करने के लिए वेबीनारों के माध्यम से राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पिछले पंद्रह महीनों में 250 निशुल्क प्रेरक व्याख्यान देने का रिकॉर्ड बनाया है तथा  पिछले दस सालों में लगभग एक हजार कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को कैरियर मार्गदर्शन हेतु उद्बोधन दिए हैं। साथ ही देश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में  कोरोना से उत्पन्न मायूसी को कम करने के लिए तैराक शोधपत्र, कविता, कहानी, समीक्षा, साहित्यिक और जीवन को संतुलित बनाने के लिए आलेख प्रकाशित हुए हैं।
    सरकारी नौकरी के साथ हजारों छात्रों को कैरियर निर्माण का प्रशिक्षण से कॉरपोरेट क्षेत्रों में जॉब दिलवाना प्रो. सिंह की बड़ी उपलब्धियों में से एक हैं। उनका कहना है कि सरकार एक पद देती है, किंतु व्यक्ति अपने हुनर से कई क्षेत्रों में अपनी धाक जमा सकता है। जहां चाह, वहां राह होती है। लीक से हटकर कुछ अलग करने की ललक हमें अपने हिस्से की गंदगी हटाने में आत्मा को सुकून देती है। कोई भी परिवर्तन सबसे पहले वैचारिक स्तर पर होता है। स्वयं को प्रज्ज्वलित करना हमारे हाथ में होता है। व्यक्ति को हर रोज अपना ही रिकॉर्ड तोड़ना चाहिए। जो दूसरों के लिए निस्वार्थ खड़ा होता है, उसे हराना मुश्किल होता है। विषम परिस्थितियों में अपनी स्थिति को संभालना हमारे हाथ में होता है। संकल्प जनित अनंत ऊर्जा से विरले कार्मिक पहाड़ खड़ा करने से विरली सफलता मिलती है। जीवन जीने के पीछे किसी बहुत बड़ी वजह के बिना ऊर्जा लक्ष्य पर केंद्रित नहीं हो पाती है। मनुष्य अगर अपनी इच्छा शक्ति के ब्रह्मास्त्र से जहां चाहे, वहां वैकल्पिक रास्ते निकाल सकता है। जीवन भर विद्यार्थी बने रहने की ललक को लगन के पंख लगाए प्रो. सिंह पारदर्शी सोच को अधिकांश चुनौतियों का समाधान मानते हैं। उनका कहना है कि परमार्थ सेवा से जो सुकून मिलता है वह अमूल्य होता है। प्रो.सिंह स्वयं को कोरोना त्रासदी में आत्मघोषित प्राध्यापक योद्धा के रूप में परसेवा को सच्ची खुशी का स्रोत मानते हैं। जीवन का अन्वेषण कर अंतर्निहित संभावनाओं की तलाश, सपनों पर योजनाबद्ध फोकस किसी भी व्यक्ति को सफलता के द्वार खोल सकता है। कुछ अलहदा करने करने की चाहत, कर्म को ही धर्म और रीति नीति प्रीति के व्यवहार से लोग दूसरों के हृदय में जगह बना लेते हैं। जब देश बहुत देता है, तो उसे लौटाने की चाहत जीवन के मकसद को पूरा करती है। युवाओं के लिए आइकॉन बने प्रो.निरंतर अभ्यास से उत्कृष्टता प्राप्ति की बात कहते हैं। जीवन को जो हम देते हैं, जीवन वही हमें लौटाता है। पुरुषार्थ से प्रारब्ध निर्माण, कर्म यज्ञ से अपनी किस्मत खुद लिखना और जो हम हैं और जो हो सकते हैं, के अंतराल को भरना हर मनुष्य के जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।जीवन की खाली किताब पर कर्मों की स्याही से लिखा जाता है। अभावों में जीने वाले लोग अकूत शक्ति की गुंजाइश के धनी होते हैं। शिक्षा स्वयं के अधिकतम प्रकटीकरण का सूत्र है। आत्म साक्षात्कार, आत्म विश्लेषण, स्वयं की क्षमताओं पर संदेह न करना जैसे वैचारिक सूत्र प्रो. सिंह के प्रेरक व्याख्यानों के केंद्र बिंदु रहते हैं।