किसानों की मौत का कोई रिकार्ड नही : केंद्र सरकार

भारत सरकार इतनी असंवेदनशील कैसे हो सकती है की उसके पास बीते 1 साल से चल रहे किसान आन्दोलन के दौरान आन्दोलनकारी  किसानो की मौत का आंकड़ा नही है ! यह बात आज विपक्ष द्वारा उठए गए सवाल के जबाब में केंद्र सरकार बड़ी बेशर्मी के साथ दिया गया ! देश की राजधानी की सीमाओं पर बैठे किसानो की मौत का आंकड़ा नही ?  जबकि वहां दिन रात 24 घंटे पुलिस और खुफिया विभाग की नजर बनी हुई है ? सरकार के इस बेतुके जबाब पर अनेको सवाल बुद्धिजीवियों , सामान और प्रगति शील विचारधारा के लोगों के जहन में कौंधने लगे है ……(1) केंद्र सरकार देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर ठीक ढंग से नजर नही रखती है कि वहां क्या घट रहा है , तो देश की विस्तृत प्राकृतिक ,भौगोलिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण सीमाओं का किस तरह ध्यान रख पाती होगी ? (2) क्या सरकार की पुलिस,खुफिया विभाग और अन्य विभाग के आला अधिकारी किसी भी प्रकार की घटनाओं की जानकारी का संकलन कर सरकार तक नहीं पहुंचाते हैं ? (3) या फिर सरकार को देश की आवाम से कोई सरोकार नही , सिर्फ सत्ता पर कबिज रहने के लिए जो हो सकता है वही ठीक, बाकी किसी बात से कोई सरोकार नही ? (4) विपक्ष के किसी भी सवाल का जबाब नही देना और असली मुद्दे को गुमराह कर जनता और विपक्ष का ध्यान किसी और ओर भटका देना ? (5) जब सरकार की गुप्तचर एजेंसियों को एक चिन्हित जगह पर क्या घाट रहा है यह नही मालूम तो इन एजेंसियों को क्यों पालित पोषित किया जाय ? क्यों इन पर जनता की गाढ़ी कमाई लुटाई जाय , या फिर इन खुफिया एजेंसियों का काम सिर्फ सरकार और सरकार के लिए काम करना ? जिसमे विपक्षी ,जागरूक और सरकार से सवाल करने बाले लोगो को प्रताड़ित कर चुप रहने को मजबूर करना बचा है तो धिक्कार है …. राकेश प्रजापति 

आज संसद में तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे करीब 700 किसानों की मौत और उनके परिजनों को मुआवजा दिए जाने के सवाल पर केंद्र सरकार ने कहा है कि उनके पास ऐसा कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। लोकसभा में सरकार से सवाल किया गया था कि मृतक किसानों के परिजनों को वित्तीय सहायता दिए जाने का कोई प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है या नहीं? इस पर केंद्र ने लोकसभा में जवाब दिया है कि कृषि मंत्रालय के पास किसानों की मौत का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। इसलिए उनको मुआवजा दिए जाने या फिर इस संबंध में कोई सवाल ही नहीं उठता है।
तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुए देश में करीब 700 किसानों की मौत हो गई। इन किसानों के परिजनों को मुआवजा दिए जाने की मांग भी उठ रही है। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। यहां तक कि कांग्रेस नेताओं की ओर से इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव भेजकर चर्चा करने को भी कहा गया था।