कमलनाथ की दिल्ली रवानगी , दिग्विजय होंगे नए रोल में……

कांग्रेस इन दिनों बड़े संकट के दौर से गुजर रही है। कई राज्यों में तनातनी हैं और हालात यहां तक बन गए हैं कि सरकारों तक पर संकट मंडरा सकता है। इन हालातों में पार्टी के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ संकटमोचक बन सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भूमिका बदल जाएगी…………मयंक भार्गव 
कांग्रेस में कई राज्यों में खींचतान का दौर जारी है और गांधी परिवार के खिलाफ आवाजें उठी हैं। इसके साथ ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के विश्वस्त अहमद पटेल का निधन हो चुका है। इन हालातों में पार्टी के भीतर समन्वय बनाने की कोशिश जारी है।
इसी क्रम में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के अनुभव और प्रभाव का पार्टी उपयोग करना चाह रही है। इसी के चलते कमलनाथ की दिल्ली में सक्रियता बढ़ गई है और उन पर समन्वय की जिम्मेदारी भी पार्टी सौप रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की दिल्ली में बढ़ती सक्रियता के बीच मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी सक्रिय हो चले हैं। बीते एक पखवाड़े में दिग्विजय सिंह कई जिलों का ना केवल दौरा कर चुके हैं बल्कि सड़क पर भी उतरने से नहीं चूके हैं। इसके अलावा शिवराज सरकार को घेरने की कोशिश में लगे हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र भी लिखे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिग्विजय सिंह राज्य के 10 साल मुख्यमंत्री रहे हैं जिसके चलते उनके पास अपने समर्थकों की टीम है यही कारण है कि वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव के दौरान उन्हें पार्टी ने समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी थी। पार्टी को परिणाम भी सकारात्मक मिले मगर पार्टी सत्ता पर महज 15 माह ही काबिज रह पाई। सरकार गिरने और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने की बड़ी वजह भी दिग्विजय सिंह को ही माना जाता है।
भले ही कमलनाथ के अखिल भारतीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने की स्थिति में प्रदेश में भी उनकी और सिर्फ उनकी पसंद का ही नया प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनेगा लेकिन उसके बावजूद कुल मिलाकर मध्यप्रदेश में कांग्रेस अब दिग्विजय सिंह के हाथ में होगी क्योंकि कमलनाथ के राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय होने के कारण मध्य प्रदेश में कोई दूसरा बड़ा नेता पार्टी के पास है ही नहीं।