ऑनलाइन होने जा रहा है आबकारी विभाग ..

प्रदेश सरकार आबकारी नीति में आये दिन फेरबदल कर अपने फायदे के मार्ग तलाश रही है ! वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस सरकार को आये दिनों इस मुद्दे को लेकर घेरने में नही चुक रही है ! जिससे सरकार की नीति और नीयत के ऊपर शक होने लगा है ! वहीं दूसरी और ac में बैठ कर निकम्मे नौकरशाहों की काबिलियत भी सबके सामने आ रही है ! ये सरकार और जनता की कसौटी पर नाकारा साबित हो रहे है ..

घोटालों व साठ-गांठ के आरोपों से घिरा रहने वाला आबकारी विभाग भी ऑनलाइन होने जा रहा है। जल्द ही ई-आबकारी पोर्टल लांच होने वाला है। ठेकेदार को राशि बैंक अथवा ट्रेजरी में जमा कर विभाग को रसीद देनी होती थी। इन रसीदों के कारण ही इंदौर में 42 करोड़ का घोटाला हो चुका है। इससे बचने के लिए पुरानी व्यवस्था बंद कर ठेकेदारों को ई-आबकारी पर ई-वॉलेट की सुविधा दी जाएगी। जहां से वे सीधे राशि जमा कर सकेंगे। किसी को एक दिन की पार्टी के लिए लाइसेंस चाहिए तो वह ऑनलाइन आवेदन कर राशि जमा कर लाइसेंस ले सकेगा। इससे उसे विभाग के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

आबकारी विभाग के अधिकारियों पर ठेकेदारों से साठ-गांठ के आरोप लगते रहे हैं। यह भी आरोप हैं कि वे अवैध शराब की बिक्री को अनदेखा करते हैं। व्यवस्था में सुधार के लिए ई-आबकारी पोर्टल कुछ दिनों में लांच होने वाला है। इस पोर्टल में जिलेवार हर ठेकेदार का अकाउंट व ई-वॉलेट रहेगा। ई-वॉलेट से सारे शुल्क ऑनलाइन जमा किए जा सकेंगे। स्थानीय अफसरों के साथ भोपाल व ग्वालियर मुख्यालय के अफसर भी सीधे जानकारी लेते रहेंगे।

सहायक आयुक्त राजनारायण सोनी ने बताया कि ई-आबकारी पोर्टल लांच होने वाला है। इससे विभाग की सारी सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध होंगी।ठेकेदार ई-वॉलेट से कर सकेंगे भुगतान। इसकी अफसर कर सकेंगे निगरानी। विभाग विशेष अवसरों पर शराब पिलाने के लिए एक दिन का लाइसेंस देता है। पोर्टल पर ही आवेदन कर राशि जमा की जा सकेगी। शराब दुकान व ब्रांड के आधार पर रेट लिस्ट उपलब्ध रहेगी। कहीं ज्यादा वसूली हो रही है तो ऑनलाइन शिकायत की जा सकेगी। कलेक्टर व अन्य प्रशासनिक अफसर भी निगरानी कर सकेंगे। किसी इलाके में अवैध शराब बिक्री की शिकायत की जा सकेगी। हर जोन के अधिकारियों के नाम व नंबर रहेंगे।

2017 में हुए आबकारी घोटाले में विभाग के 7 वरिष्ठ अफसर अब तक जांच में फंसे हैं। करीब 20 करोड़ की राशि तो डूब भी चुकी है। ठेकेदार ने विभाग को फर्जी रसीदें दी और अधिकारियों द्वारा इसे चेक नहीं करने पर घोटाला हुआ था। ऑनलाइन सुविधा से ऐसे घोटालों की आशंका खत्म होने का दावा है।