किसानो को मिलेगा फसल बीमा का लाभ ..

उप संचालक कृषि छिन्दवाड़ा जितेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि फसल बीमा  योजना के अंतर्गत फसल अवस्थाओं पर अधिसूचित फसलों के लिये अधिसूचित क्षेत्र में फसल क्षति जोखिम आवरित किये जाते हैं। इसमें बाधित बुआई, रोपण, अंकुरण जोखिम में बीमाकृत क्षेत्र में कम वर्षा अथवा प्रतिकूल मौसमी दशाओं के कारण बुआई, रोपण, अंकुरण क्रिया न होने एवं होने वाली हानि से सुरक्षा प्रदान करेगा..

खड़ी फसल (बुआई से लेकर कटाई तक) के लिये गैर बाधित जोखिमों यथा सूखे, लंबी, शुष्क, कीट व रोग, बाढ़, जलभराव, भू-स्खलनों, प्राकृतिक अग्नि दुर्घटनाओं और नाभिकीय और आकाशीय बिजली, तूफान, ओलावृष्टि, चक्रवात के कारण फसल को होने वाले नुकसान की सुरक्षा के लिये वृहत जोखिम बीमा दिया जाता है..

फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान के लिये यह बीमा आच्छादन ऐसी फसलों को काटे जाने से अधिकतम दो सप्ताह के लिये ओलावृष्टि, चक्रवात और चक्रवातीय वर्षा एवं गैर मौसमी वर्षा के मामले में दिया जाता है। फसल कटाई के बाद खेत में सूखने के लिये वृहत जोखिम बीमा दिया जाता है। स्थानीय आपदाओं के लिये अधिसूचित क्षेत्र में पृथक कृषि भूमि को प्रभावित करने वाली ओलावृष्टि, भू-स्खलन और जलभराव, बादल फटना, आकाशीय बिजली कड़कने से प्राकृतिक आग के अभिचिन्हित स्थानीयकृत जोखिमों से होने वाले नुकसान/क्षति आदि।
         उन्होंने बताया कि इन फसल अवस्थाओं में फसल क्षति की स्थिति में किसानों द्वारा सूचना, क्षति का सर्वेक्षण, दावा गणना, दावों का भुगतान आदि सभी प्रक्रियायें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की रिवेम्प्ड मार्गदर्शी निर्देशिका, भारत सरकार के दिशा निर्देशों, निविदा की शर्तों एवं राज्य स्तरीय फसल बीमा समन्वय समिति तथा म.प्र. शासन के दिशा निर्देशों के अनुसार किया जायेगा । सामान्य अपवर्जन में युद्ध नाभिकीय जोखिमों से होने वाली हानियों, दुर्भावनाजनित क्षतियों और अन्य निवारणीय जोखिमों को इसमें शामिल नहीं किया जायेगा।