श्रीकृष्णार्जुन संवाद धारावाहिक की 123 वी कड़ी.. 

मध्य प्रदेश के नरसिंगपुर जिले की माटी के मूर्धन्य साहित्यकार स्वर्गीय डॉक्टर रमेश कुमार बुधौलिया जी द्वारा रचित ‘श्रीकृष्णार्जुन संवाद,धार्मिक साहित्यिक धरोहर है, जिसमे डॉक्टर साहब द्वारा श्रीमद्भगवतगीता  का भावानुवाद किया है ! श्रीमद्भगवतगीता के 700 संस्कृत श्लोकों को ‘श्रीकृष्णार्जुन संवाद में मात्र 697 विलक्ष्ण छंदों में समेटा गया है। गीता के समस्त अठारह अध्यायों का डॉ. बुधौलिया ने गहन अध्ययन करके जो काव्यात्मक प्रदेय हमें सौंपा है, वह अभूतपूर्व है। इतना प्रभावशाली काव्य-रूप बहुत कम देखने को मिलता है। जिनमें सहज-सरल तरीके से गीताजी को समझाने की सार्थक कोशिश की गई है।
इस दिशा में डॉ. बुधौलिया ने स्तुत्य कार्य किया। गीता का छंदमय हिंदी अनुवाद प्रस्तुत करके वह हिंदी साहित्य को दरअसल एक धरोहर सौंप गए।
आज वह हमारे बीच डॉ. बुधोलिया सशरीर भले नहीं हैं, लेकिन उनकी यह अमर कृति योगों युगों तक हिंदी साहित्य के पाठकों को अनुप्राणित करती रहेगी ! उन्ही के द्वारा श्रीमद्भगवतगीता महाकाव्य की छंदोंमयी श्रंखला श्रीकृष्णार्जुन संवाद धारावाहिक की 123 वी कड़ी.. 

सत्रहवाँ अध्याय : श्रद्धात्रय-विभाग योग (श्रद्धा के तीन भेद)

अर्जुन उवाच :-

अर्जुन ने पूछा हे भगवन, उसको किसमें समझा जावे,

सतगुण में या कि रजोगुण में, या तमोगुणी समझा जाये।

उनको जो शास्त्र-विधान हीन, पालन न शास्त्र विधि का करते,

पर अपनी मति से उचित समझ, जो श्रद्धा सहित यजन करते।-1

श्री भगवानुवाच :-

भगवान कृष्ण बोले अर्जुन, श्रद्धा के तीन प्रकार रहे,

प्राणी का जो प्राकृतिक गुण, उस गुण की ही श्रद्धा उपजे।

सात्विक, राजस, तामस होती सत रज तम ज्यों अन्तस का गुण,

श्रद्धा गुण की है अनुवर्ती, इसका ही तत्व निरूपण सुन।-2

 

हे अर्जुन जीवों की श्रद्धा, गुण के अनुसार हुआ करती,

अन्तस का जिसका जैसा गुण, वैसी श्रद्धा उसकी बनती।

श्रद्धामय है यह जीव पार्थ, श्रद्धा वाला समझा जाता,

जिस गुण का अन्तकरण हुआ, उस गुण की श्रद्धा वह पाता।-3

 

सात्विक जन की सात्विक श्रद्धा, वे देवों का करते पूजन,

अरू यक्ष रासक्ष को पूजे, राजस जन का श्रद्धालु मन।

तामस गुण की तामस श्रद्धा, वे भूत प्रेतगण को भजते,

गुण कर्म भेद आधार रहा, जन अलग-अलग श्रद्धा रखते।-4    क्रमशः ….