सतपुड़ा सप्तक काव्य संग्रह का विमोचन ..

छिंदवाड़ा की उर्वर सौंधी माटी में जन्म लिए सात कवियों के संयुक्त काव्य संकलन सतपुड़ा सप्तक का विमोचन समारोह स्थानीय पेंशन सदन में मुख्य अतिथि जयशंकर शुक्ल और श्रीमती विमला शुक्ला के हस्ते संपन्न हुआ ! जिसकी अध्यक्षता एस. आर. शेंडे ने की, काव्य संग्रह की सार स्वरूप में अभिव्यक्ति देते हुए पूर्व आकाशवाणी उद्घोषक अवधेश तिवारी ने कहा कि सतपुड़ा सप्तक के काव्य पुष्प उपत्यकाओं में बसे छींद आच्छादित छिंदवाड़ा के सप्त शिखरीय सौंदर्य का विशद दर्पण है….

काव्य संग्रह समीक्षक डॉ. के. के. श्रीवास्तव ने काव्य संग्रह के पहले भाग में पूर्व आकाशवाणी उद्घोषक अवधेश तिवारी की माटी मेरे गांव की शीर्षक से संकलित कविताएं ग्राम्य बोली में रचित ऊर्ध्वगामी चेतना का प्रबोधन हैं, जिनसे छींद के वृक्षों की अधिकता से छिंदवाड़ा के नामकरण को नवीन पहिचान मिलती है।

समीक्षक प्रो. अमर सिंह ने कहा कि सतपुड़ा सप्तक छींद युक्त छिंदवाड़ा की उर्वर ऊर्जा का दस्तावेज है। दूसरे भाग में स्वर्गीय गुलाम मध्यप्रदेशी की देहरी पूछे कब आओगे शीर्षक से रचे गीतों में स्वनिर्मित बंधनों में अटके मनुष्य के लिए मुक्तिपथ के अज्ञात शिखर पर यात्रा करने की युक्तियां अटी पड़ी हैं। तीसरे भाग में हवीब शैदा का प्यार की कसम रखना अदबी संस्कारों शीर्षक से संकलित रचनाएं टूटे विश्वासों विश्वासों को जोड़कर मनुष्यता निर्माण की वैचारिकी है। चौथे भाग में वात्सल्य के शिरोमणि कवि प्रभूदयाल श्रीवास्तव के नवपल्लव शीर्षक से रचित बालगीत आजीवन बच्चा बने रहने की रहस्यमई खुशियों के सतत स्रोत हैं वर्तमान के पलों में उपस्थित रहकर नेकी करने की आस्था प्रदान करती हैं। पांचवें भाग में रामलाल सराठे की अक्षरों के दीपक शीर्षक से संकलित काव्य माधुरी में बेहतरी की तफ्तीश है, प्रतिबद्धता की तत्परता है और कुहासे में लिपटी बेबसी के तमस को अंजुली से उलीचने की बेताबी है। छठवें भाग में रमाकांत पांडेय की कुछ मोती कुछ सीप शीर्षक से रचित काव्यमाधुरी में जहां एक ओर अत्याधुनिकता की चुनौतीभरी धारा में प्रासंगिक बने रहने की सिफारिश है , तो दूसरी तरफ सिहरन पैदा करने वाली उमंगों के ज्वार हैं।

सातवें अंक में स्वर्गीय शिवशंकर शुक्ल लाल की कुछ फूल भी कुछ शूल भी शीर्षक से संकलित हास्य व्यंग्य की कविताओं में अपनी प्रकृति को पहचानकर जिंदगी की अदालत में कैद से मुक्ति की दलीलें हैं। विमोचन समारोह के विशिष्ट अतिथि रत्नाकर रतन, डॉ. आर. डी. ब्राउन, डॉ. विजय कलमधार, जयशंकर शुक्ल, बी. के. एस. परिहार थे। परिषद के कार्यकलापों की जानकारी व आभार व्यक्त परिषद के सचिव रामलाल सराठे नेकिया और मंच संचालन की महती भूमिका का निर्वहन श्रीमती प्रीति जैन शक्रवार ने किया।

विमोचन समारोह में काव्य पाठ करने वालों में अशोक जैन, श्रीमती अनुराधा तिवारी, ओमप्रकाश नयन, नंदकिशोर पगारे नदीम, श्रीमती अंजुमन आरजू, नेमीचंद व्योम, विजयानंद दुबे, नितिन जैन नाना, रोहित रूसिया, शैफाली शर्मा, स्वप्निल जैन, विकल जौहरपुरी, राजेंद्र यादव, श्रीमती मोहिता मुकेश कमलेंदु, रमाकांत पांडेय, लक्ष्मण प्रसाद डहेरिया, खामोश नंद कुमार दीक्षित, कृष्ण कुमार मिश्रा कायर, मोहित शुक्ला, इंद्रजीत सिंह ठाकुर, शशांक दुबे शशांक पारसे, श्रीमती नीलम पवार और निर्मल प्रसाद उसरेठे प्रमुख थे। समारोह में सुरेंद्र वर्मा, डॉ. आर. गजभिए, सुरेश कुमार हिराऊ, निरपत सिंह वर्मा, ,शंकरलाल साहू, श्रीमती रेणु दुबे, श्रीमती आशालता यादव, रमेश कुमार बंदेवार, कांतिलाल सुराना, बी. एल. माहोरे और जयंत ढोक सहित बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित रहे।