अवैध कटाई के आरोपियों को क्यों बचा रहे है वनाधिकारी ..?

दक्षिण वनमंडल के वन परिक्षेत्र सिल्लेवानी के खद‌बेली मे 4-कुण्डा भाग 2 कर 1659 में दिनांक 23.1.2025 को बिना मार्किंग के लगभग 11 पेड़ों को बिना अनुमति के पश्चिम वनमंडल उत्पादन छिंदवाड़ा के जिम्मेदार डिप्टी रेंजर और वन परिक्षेत्र अधिकारी उत्पादन की शह पर क़त्ल कर लट्ठो और ठूंठ में आग भी लगा दी गई , शिकायत के बावजूद भी भ्रष्ट और निकम्मे वरिष्ठ वनाधिकारी दोषियों पर कार्यवाही करने की जगह उन्हें बचाने में लगे है आखिर क्यों ….?

दक्षिण वनमंडल के वन परिक्षेत्र सिल्लेवानी के खद‌बेली मे 4-कुण्डा भाग 2 कर 1659 में दिनांक 23.1.2025 को बिना मार्किंग के लगभग 11 पेड़ों को बिना अनुमति के पश्चिम वनमंडल उत्पादन छिंदवाड़ा के जिम्मेदार डिप्टी रेंजर और वन परिक्षेत्र अधिकारी उत्पादन की शह पर काटे और कुछ लट्ठो और ठूंठ में आग भी लगा दी गई !

NCP पंचायतीराज एवं नगरीय निकाय विभाग म.प्र. के प्रदेश अध्याक्ष सुनील चौरसिया ने इसकी शिकायत दिनाँक 24/01/2025 को मय फोटोग्राफ एंव मौका पंचनामा स्थानीय ग्रामीणों के मुख्य वन-सरंक्षक मधु व्ही राज छिंदवाडा को की ! मुख्य वनसंरक्षक के आदेश पर तत्काल कार्यवाही करते हुए वन अमले ने घटना स्थल पर जाकर 11 पेड़ों को अवेध रूप से कटाई करना पाया गया। इसमें कूप कटाई के नाम पर इमारती काष्ठ सागौन को डिप्टी रेंजर राजेश्वर कुशवाह एवं श्रीमती अनामिका कनोजिया वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा पद का दुरुप्रयोग करके अवैध कटाई को अंजाम दिया गया , इस कुकृत्य के गवाह ग्रामीण आदिवासी मजदूर है। परन्तु इसे विडंवना ही कहा जाएगा की पश्चिम वनमंडलाधिकारी उत्पादन छिंदवाड़ा अमित बसंत निकम द्वारा अपने अधिनस्त कर्मचारियों पर दोषी पाए जाने के बाबजूद उन्हें संरक्षण प्रदान किया जा रहा है ! और इस प्रकरण पर मिटटी डालने का प्रयास किया जा रहा है !आश्चर्य तो इस बात का भी है की जाँच में दोषी पाए जाने के बाद भी मुख्य वन-संरक्षक छिंदवाड़ा मधु व्ही राज भी इस पूरे अवैध कटाई प्रकरण पर चुप्पी साधे हुए है !

विभागीय सूत्र बताते है कि वन-वृत छिंदवाडा का दुर्भाग्य ही है की जिले की वन संपदा गैर जिम्मेदार मुख्य वन-संरक्षक मधु व्ही राज के हाथों में है , इनके आने के बाद से ही वनापराधों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है, इमारती लकड़ी की तश्करी और वन्य प्राणी धडल्ले से गायब हो रहे है ! विभागीय अधिकारीयों-कर्मचारियों की समस्याओं से भी इन्हें कोई वास्ता नही है ! वनमंडलाधिकारी शराबखोरी और अय्याशी में लिप्त रहते है ! प्रशासनिक व्यवस्था बेलगाम हो गई है ! इसी के चलते पिछले साल एक वनरक्षक को अपनी जान गंवानी पड़ी !

ज्ञात हो कि मृतक वनरक्षक ओमप्रकाश वर्मा अपने वरिष्ठ अधिकारीयों की प्रताड़ना का शिकार था ! तत्कालीन पश्चिम वनमंडलाधिकारी श्री ईश्वर जरंडे और पश्चिम वनमंडलाधिकारी उत्पादन अमित बसंत निकम की प्रताड़ना से इस कदर मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित हो गया था , बच्चे दाने-दाने को मोहताज हो गए थे , पत्नी दूसरों के धरों से भोजन लाकर बच्चों के पेट की तपिस शांत करती थी ! ईमानदार और स्वाभिमानी वनरक्षक ओमप्रकाश वर्मा से परिवार की हालत देखी नही गई और उसने आत्महत्या का मन बना लिया है !

वनरक्षक ओमप्रकाश वर्मा ने मरने से पहले मुख्य वनसंरक्षक  एवं जिला कलेक्टर को अपनी समस्या के समाधान के लिए बकायदा आत्महत्या करने की अनुमति मांगी मांगी थी ! परन्तु निर्दयी जिला कलेक्टर और लापरवाह मुख्य वनसंरक्षक मधु व्ही राज ने आवेदन पर कोई कार्यवाही नही की ! आवेदन की जानकारी लगाने पर वनरक्षक ओमप्रकाश वर्मा पर उक्त वनमंडलाधिकारी द्वय द्वारा प्रताड़ना और अधिक दी जाने लगी ! मानसिक रूप से टूटे हुए वनरक्षक ने अंततः आत्महत्या कर ली ! इस तरह अप्रत्यक्ष रूप से मानव हत्या में लिप्त मुख्य वन-संरक्षक मधु व्ही राज से अवैध रूप से काटे गए परिपक्व 11 पेड़ों के दोषियों पर कार्यवाही की उम्मीद करना बेमानी लगता है ….जारी