मुख्य वनसंरक्षक के आगोश में आरोपी ..

बीते दिनों वन परिक्षेत्र सिल्लेवानी के खद‌बेली मे बिना मार्किंग के लगभग 20 सागौन पेड़ों की अबैध कटाई हुई ! जिसकी शिकायत मुख्य वनसंरक्षक मधु व्ही राज से की गई ! जिसमे शिकायतकर्ता ने अबैध लकड़ी कटाई कांड में वनमंडल उत्पादन के मुख्य आरोपी रेंजर श्रीमती अनामिका कनोजिया और डिप्टी रेंजर राजेश्वर कुशवाह को बिना मार्किंग के सागौन पेडो की कटाई के लिए दोषी ठहराया था ! मुख्य वनसंरक्षक ने तत्कालीन वनमंडलाधिकारी उत्पादन अमित बंसल निकम को इसकी निष्पक्ष जाँच के आदेश दिए ..

इसकी खबर लगते ही विभाग में हडकंप मच गया ! रेंजर मेडम ने अपने शागिर्द और खुद को बचाने के लिए अपने पति जो की वन विभाग में ही उच्च पद पर है उनकी मदद से वनमंडलाधिकारी अमित बंसल निकम पर दबाव बनाया ! वनमंडलाधिकारी उत्पादन ने विभागीय अधिकारी के कहने पर मूर्खतापूर्ण कारवाही कर आरोपियों को ही अवैध सगौन कटाई के पंचनामे की जिम्मेदारी सौंपी ! जो की एकदम नियम विरुद्ध कार्य है ! कोई आरोपी स्वयं की जाँच कैसे कर सकता है ! कुल मिलाकर मामले को रफादफा करने की कोशिश की गई !

आरोपियों ने हडबडाहट में 11 ठूंठ और 57 सागौन काष्ठ कुल मिलकर लगभग 7 घन मीटर से अधिक अबैध लकड़ी कटाई का पंचनाम तैयार किया ! कहावत है बूरा काल जब आता है पहले विवेक मर जाता है पंचनामे में किसी स्थानीय नागरिक की गबाही न लेकर वन विभाग के ही नाकेदार ,फारेस्ट गार्ड के हस्ताक्षर करवा लिए ! यह भी नियम विरुद्ध कार्य है !

मुख्य वनसंरक्षक मधु व्ही राज को शिकायतकर्ता ने जब इस बात से अवगत कराया तो उन्होंने भी इस पूरे प्रकरण को नजरअंदाज करते हुए रेंजर मुख्य आरोपी रेंजर श्रीमती अनामिका कनोजिया और डिप्टी रेंजर राजेश्वर कुशवाह को बचाने की कोशिश की और रेंजर मेडम के पारिवारिक भावनात्मक मसले को देखते हुए आगे कार्यवाही न करने की हिदायत शिकायतकर्ता से की !

इतने संगीन मामले पर मुख्य वनसंरक्षक मधु व्ही राज का यह रवैया अनेको शंका आशंकाओ को जन्म देता है ! की इतने बड़े मामले को विभागीय अधिकारी एक दुसरे को बचने के लिए अपने कर्तव्यों को तिलांजलि दे रहे है ! वही दूसरी और कोई गरीब किसान अपने छोटी मोटी जरूरतों के लिए जरा सी लकड़ी काट के तो उस पर गंभीर प्रकरण दर्ज कर दीए जाते है ! ऐसा दोहरा मापदंड क्यों  ?

इस  प्रकरण में विभागीय अधिकारीयों के निकम्मेपन और भ्रष्ट कार्यप्रणाली को निरुपित करता है ! जिले के प्रगतिशील विचारधारा के जागरूक लोगों में आक्रोश है और वे आन्दोलन की रूप रेखा बना रहे है, जिसमे इन निकम्मे अधिकारीयों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाही समय सीमा के अन्दर किए जाने की मांग की जाएगी अन्यथा उग्र आन्दोलन का शंखनाद सुनाई देगा !

फारेष्ट गार्ड ओम वर्मा , सैकड़ों हरेभरे वृक्षों और वन्यप्राणियों के परोक्ष रूप से हत्यारो से न्याय की उम्मीद रखना बेमानी होगा….?