केंद्र और राज्‍य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस ..

प्रदेश में जनता के हितैषी होने का दंभ भरने के लिए प्रदेश की शिवराज सरकार ने बीते एक महीने में घोषणाएं की बारिश कर दी हैं। सिर्फ एक दिन में मुख्‍यमंत्र शिवराज सिंह ने 53 हजार करोड़ के 14 हजार से ज्‍यादा विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्‍यास किया। वहीं, अभी भी सीएम शिवराज आए दिन घोषणाएं कर रहे हैं….

विधानसभा चुनाव के पहले केंद्र सरकार और राज्‍य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्‍य प्रदेश सरकार और राजस्‍थान सरकार पर मुफ्त रेवड़‍ियां बांटने का आरोप लगाया है। इसको लेकर कोर्ट ने केंद्र सरकार, निर्वाचन आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक को भी नोटिस जारी किया है।

ज्ञात हो कि राज्य सरकारों की ओर से की जा रही घोषणाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। यह नोटिस केंद्र सरकार के साथ मध्य प्रदेश और राजस्‍थान सरकार को भेजा गया है। साथ ही निर्वाचन आयोग को भी सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट में पहले से यह मामला लंबित है।

इस मामले में अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर की थी। यह याचिका कई साल से लंबित है, उस पर अभी विचार ही हो रहा है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

जनहित याचिका में क्‍या कहा कि राज्‍य सरकारें चुनाव के पहले कई लोकलुभावन योजनाओं के जरिए मतदाताओं को लालच दिया जा रहा है। सरकारें पांच साल काम नहीं करती है, आखिरी में जनता के टैक्‍स का पैसा लुटाकर वोट बटोरने का प्रयास करती हैं। जनहित याचिका में मांग की गई थी कि राजनीतिक दलों के घोषणा-पत्र पर नजर रखी जानी चाहिए, साथ ही राजनेताओं से पूछा जाना चाहिए कि घोषणा पत्र के बड़े-बड़े दावों को कैसे पूरा करेंगे।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। वहां पर ऐसी घोषणाएं हो रही हैं। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों को इस तरह की घोषणाओं पर जवाब देने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया है। इसमें पूछा गया है कि आप जो इस तरह की घोषणाएं कर रहे हैं उसे पूरा कैसे करेंगे।    मिडिया रिपोर्ट