श्रीकृष्णार्जुन संवाद धारावाहिक की 143वी कड़ी.. 

मध्य प्रदेश के नरसिंगपुर जिले की माटी के मूर्धन्य साहित्यकार स्वर्गीय डॉक्टर रमेश कुमार बुधौलिया जी द्वारा रचित ‘श्रीकृष्णार्जुन संवाद ,धार्मिक साहित्यिक धरोहर है, जिसमे डॉक्टर साहब द्वारा श्रीमद्भगवतगीता  का भावानुवाद किया है ! श्रीमद्भगवतगीता के 700 संस्कृत श्लोकों को ‘श्रीकृष्णार्जुन संवाद में मात्र 697 विलक्ष्ण छंदों में समेटा गया है। गीता के समस्त अठारह अध्यायों का डॉ. बुधौलिया ने गहन अध्ययन करके जो काव्यात्मक प्रदेय हमें सौंपा है, वह अभूतपूर्व है। इतना प्रभावशाली काव्य-रूप बहुत कम देखने को मिलता है। जिनमें सहज-सरल तरीके से गीताजी को समझाने की सार्थक कोशिश की गई है।
इस दिशा में डॉ. बुधौलिया ने स्तुत्य कार्य किया। गीता का छंदमय हिंदी अनुवाद प्रस्तुत करके वह हिंदी साहित्य को दरअसल एक धरोहर सौंप गए।
आज वह हमारे बीच डॉ. बुधोलिया सशरीर भले नहीं हैं, लेकिन उनकी यह अमर कृति योगों युगों तक हिंदी साहित्य के पाठकों को अनुप्राणित करती रहेगी ! उन्ही के द्वारा श्रीमद्भगवतगीता महाकाव्य की छंदोंमयी श्रंखला श्रीकृष्णार्जुन संवाद धारावाहिक की 143 वी कड़ी..                 

अठारहवाँ अध्याय : मोक्ष-सन्यास योग

 

अरू रही घोषणा यह मेरी, वह ज्ञान यज्ञ मेरा होगा,

जब पाठ पुनीता गीता का, कोई सुधि जन करता होगा।-70

 

विद्वेष भाव से मुक्त पुरुष, श्रद्धा के साथ सुनेगा जो,

पावन गीता के तत्वों का मन में भावार्थ गुनेगा जो।

हो जायेगा वह पापमुक्त, पायेगा गति पुण्यात्मा की,

हो गये पुरुष जो ब्रह्मभूत, उनमें उसकी होगी गिनती।-71

 

अब पूछ रहा तुझसे अर्जुन, तूने यह शास्त्र सुना सारा,

एकाग्र चित्त हो एकनिष्ठ, तूने निहितार्थ गुना सारा।

क्या अभी नहीं अज्ञान मिटा, क्या मोह अभी भी शेष रहा ?

क्या रण योद्धाओं में अपने, सम्बन्ध पुराने देख रहा?-72

अर्जुन उवाच :-

अर्जुन ने कहा कि हे अच्युत, यह कृपा कि मेरा मोह मिटा,

मेरी सुधि प्राप्त हुई मुझको, मेरा सारा सन्देह मिटा।

संशय मेरा हो गया दूर, मुझमें भगवन दृढ़ता आई,

आज्ञा दें पालूँगा उसको, प्रभु मैंने शरणोगति पाई।-73

संजय उवाच :-

संजय बोले सौभौग्य रहा जो मैंने यह अवसर पाया,

“संवाद कृष्ण, अरू अर्जुन का,” मैंने जो अविकल सुन पाया।

सचमुच महान ये आत्मायें, वार्ता करती विस्मयकारी,

सुनकर जिसको रोमांचित मैं, जो जीवन को मंगलकारीं।-74    क्रमशः ….