वन विभाग रक्षक है या माफ़ियाओं का साझेदार ..?

 “ रेत की आड़ में जंगल का सौदा… वन विभाग की मिलीभगत से हो रहा वनसंहार ”

“रेत और सागौन की तस्करी अब माफ़ियाओं का धंधा नहीं, बल्कि वन विभाग का ‘संरक्षित कारोबार’ बन चुकी है। ”

शिकायतें दब रही हैं, जंगल उजड़ रहे हैं

💥 राकेश प्रजापति ..

छिंदवाड़ा जिले के बिछुआ वनपरिक्षेत्र से निकली खबर किसी छोटे-मोटे भ्रष्टाचार की गाथा नहीं, बल्कि वन विभाग की निकम्मी, भ्रष्ट और माफ़िया-पोषक कार्यप्रणाली का आईना है। जंगल काटे जा रहे हैं, सागौन बेचे जा रहे हैं, रेत की ट्रालियाँ निकल रही हैं और विभाग के अधिकारी “वसूली की गद्दी ” पर बैठे हुए हैं..

पैसे की खातिर वन संपदा की लूट ..

नीमठाना, खदबेली, गुलसी, चाकुटाना और भीमालगोदी में खुलेआम रेत निकाली जा रही है। धरती का सीना छलनी हो रहा है और पर्यावरण कराह रहा है। रेत माफ़िया और वन अफसरों की “सांठगांठ ” का हाल यह है कि हर ट्राली का “रेट” पहले से तय है।

सिर्फ रेत नहीं , सागौन की अवैध कटाई भी धड़ल्ले से चल रही है। सूत्र बताते हैं कि बिछुआ ,खामरपानी में  मैदानी कर्मचारी आराम फरमा रहे हैं, जंगल निरीक्षण उनका एजेंडा ही नहीं। प्रति ट्राली कमीशन ही अब उनकी ड्यूटी बन गई है।करिश्माई चिकन की भी विभाग में धूम है ..

खदबेली: पुराने जख्म, नए घाव ..

खदबेली को जंगलों के विनाश का अड्डा पहले से माना जाता है। कुछ समय पहले यहां की एक महिला रेंजर और डिप्टी रेंजर के इशारे पर 20 से अधिक सागौन वृक्षों की बिना परमिशन अवैध कटाई करवा दी। जब मामला खुला तो विभाग के वरिष्ठ अधिकारीयों ने अपनी चमड़ी बचने की खातिर अपने ही भ्रष्ट अफसरों को बचाने का “पाप ” किया। यही वजह है कि आज भी माफ़ियाओं के हौसले बुलंद हैं।

खदबेली में माफ़ियाओं की शिकायतें ऊपर तक पहुँचीं, लेकिन विभाग ने कमीशनखोरी के आगे आँख-कान मूँद लिए। साफ़ है—

“ जब रक्षक ही भक्षक बन जाएँ तो जंगल बचेंगे कैसे ? ”

जाखावाड़ी नाके पर तो पूरा “सेटिंग-राज” चल रहा है। मैदानी कर्मचारी खुद दलाल की भूमिका निभा रहा है। माफ़िया कहते हैं—“हमारी सब सेटिंग है, पैसा दो और निश्चिंत होकर ट्राली निकालो।” यही कारण है कि शिकायतों के बावजूद कार्रवाई ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है।

यह काला कारोबार केवल पर्यावरण की हत्या नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बेचने जैसा अपराध है। भ्रष्ट और निकम्मे अफसरों की “पापपूर्ण चुप्पी ” ने जंगलों को बर्बादी की ओर धकेल दिया है।

जनता सवाल पूछ रही है ..वन विभाग रक्षक है या माफ़ियाओं का साझेदार ?