मध्य प्रदेश के नरसिंगपुर जिले की माटी के मूर्धन्य साहित्यकार स्वर्गीय डॉक्टर रमेश कुमार बुधौलियाजी द्वारा रचित ‘गीता ज्ञान प्रभा’
ग्रंथ एक अमूल्य ,धार्मिक साहित्यिक धरोहर है, जिसमे डॉक्टर साहब द्वारा ज्ञानेश्वरीजी महाराज रचित ज्ञानेश्वरी गीता का भावानुवाद किया है, श्रीमद्भगवतगीता के 700 संस्कृत श्लोकों को गीता ज्ञान प्रभा में 2868 विलक्ष्ण छंदों में समेटा गया है।
उन्ही के द्वारा श्रीमद्भगवतगीता महाकाव्य की छंदोंमयी श्रंखला ‘गीता ज्ञान प्रभा ‘ धारावाहिक की छटवी कड़ी ..
अध्याय- एक
-: अर्जुन विषाद योग :-
श्लोक (१७,१८,१९)
महावीर काशी नरेश, राजा द्रुपद, द्रौपदयों ने,
नृप अनेक जो वहां जुड़े थे उन सब वीर नरेशों ने ।
अर्जुन के सुत अभिमन्यु ने और अजेय सात्यकि ने
धृष्टद्युम्न ने और समर में शामिल वीर शिखण्डी ने ।
महाराथी राजा विराट ने, सैन्य नायकों ने सबने,
फूँके अपने अपने शंख, इरादे प्रगट किए अपने ।
हुई महाध्वनि इन शंखों की काँप उठे दिग्गज सारे,
शेष नाग भी डोले भार धरा का जो सिर पर धारे ।
सहम गया त्रैलोक्य सचल हो गए मेरु मान्दार अचल,
छूने लगा शिखर हिमागिरि का उछल उछल सागर का जल ।
सत्य लोक में भी कोलाहल मचा कि पृथ्वी डूब गई,
निराधार हो गये देवता-कहाँ देव जब नहीं मही ?
डूब गया दिन में ही सूरज मानो प्रलय काल आया,
हाहाकार मचा दिशि दिशि में गहरा कोलाहल छाया ।
यह देखा भगवान कृष्ण ने मन में करुणा जागी,
कहीं सृष्टि का नाश न हो, खींच लिया आवेश सभी ।
शंखनाद हो गया बन्द पर प्रतिध्वनियों की गूंज रही,
कुरु सेना के वीरों का जो करती हृदय विदीर्ण रही ।
दुर्योधन के सहित सभी के चिरे कलेजे उस ध्वनि से,
जो साधारण वीर रहे वे रहे बहुत भय से कपते ।
एक दूसरे को आपस में किया उन्होंने सावधान,
सेना का भी पुनर्नियोजन था अब फिर वीरों का काम ।
श्लोक (२०)
राजन अतिरथियों ने अपनी सेना का ढाढस बाँधा,
और महारथियों ने उनको फिर से धरती पर साधा ।
नया जोश उत्साह जगाया प्रेरित किया युद्ध करने,
और आक्रमण किया शत्रु पर आज्ञा दी बढ़े वीर कटने मरने ।
प्रलय काल में मेघ बरसते, ऐसे तीर बरसते थे,
जैसे मेघ नहीं थमते थे वैसे तीर न थमते थे ।
लगे दिखाने अपना कौशल रण में वीर धनुर्धारी,
उद्धत दीखी युद्ध हेतु कौरव दल की सेना सारी ।
अर्जुन ने भी दृष्टि घुमाकर अपनी सेना को देखा,
वीरों में उत्साह देख सन्तोष भाव मन में लेखा ।
लेकिन देखा जब अर्जुन ने कौरव दल को युद्धातुर,
सहज भाव से उठा लिया तब उसने भी गाण्डीव धनुष । क्रमशः ….