विजयपुर से भाजपा प्रत्याशी हारे , भाजपा खेमे में सन्नाटा ..

प्रदेश की दो विधानसभा उपचुनावों में डॉ मोहन यादव की प्रतिष्ठ दाँव पर थी ! परन्तु आज आए विजयपुर विधानसभा परिणामो ने प्रदेश भाजपा को चौंका दिया !  मतगणना के दौरान बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। पहले राउंड से ही शुरुवात् कमजोर सी लग रही थी , वन मंत्री रामनिवास रावत 17 वें राउंड से अचानक से वे जो पिछड़े और कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा को पीछे नहीं छोड़ पाए। 21वें राउंड की काउंटिंग में भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत, मुकेश मल्होत्रा से 7228  वोट से हार गए …. 

पुराने कांग्रेसियों को पचा नही पा रहे है भाजपा नेता 
ठीक लोकसभा चुनाव से पहले रामनिवास रावत कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद भाजपा ने छह बार के विधायक रावत को प्रदेश सरकार में वन मंत्री बना दिया गया था। लेकिन रावत को भाजपा में शामिल करने और उन्हें प्रत्याशी बना जाने का पार्टी के अंदर विरोध शुरू हो गया था। बाद में  शीर्ष नेतृत्व ने असंतुष्ट नेताओं को मनाने का दावा किया , लेकिन विजयपुर के परिणाम बताते हैं कि भाजपा नेता और कार्यकर्ता रावत को स्वीकार नहीं कर पाए। भाजपा से पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी और बाबूलाल मेवाड़ा भी टिकट के दावेदार थे। लेकिन, उन्हें टिकट नहीं दिया गया। ऐसे में अब आरोप लग रहे हैं कि इन दोनों नेताओं ने चुनाव में पूरे मन से काम नहीं किया।
आदिवासी वोट बैंक में कांग्रेस की पकड़ मजबूत 
श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा में आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यहां लगभग 60 हजार आदिवासी मतदाता हैं। कांग्रेस ने जातिगत समीकरण साधते हुए आदिवासी वर्ग से आने वाले मुकेश मल्होत्रा को प्रत्याशी बनाया था। मल्होत्रा ने पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 42 हजार वोट हासिल किए थे, जिसमें बड़ी संख्या में आदिवासी वोट शामिल थे। मल्होत्रा ने आदिवासी समाज के बीच लगातार काम किया, कांग्रेस और आदिवासी वोट बैंक के मेल को उनकी जीत का कारण माना जा रहा है।
कांग्रेस ने न केवल सही उम्मीदवार चुना, बल्कि जमीन पर भी प्रभावी ढंग से काम किया। कांग्रेस नेता नीटू सिकरवार उपचुनाव की तारीख घोषित होने से पहले ही विजयपुर में सक्रिय हो गए थे। उनके मैनेजमेंट और टीम वर्क के जरिए कांग्रेस ने मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री को हराकर जीत हासिल की। रावत के पार्टी बदलने से उनके समर्थकों और जनता ने इसे पसंद नहीं किया। यह भी हार का बड़ा कारण रहा।
विजयपुर की हार भाजपा सरकार पर चिंता की लकीरे तो खींच दी है ! भाजपा सरकार पर कोई खास असर नहीं होगा, लेकिन रामनिवास रावत को अब मंत्री पद छोड़ना पड़ेगा। इस हार के कारण मुरैना क्षेत्र से आने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की रणनीति पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। विजयपुर चुनाव की कमान तोमर के हाथ में थी, लेकिन उनकी रणनीति फेल हो गई। वहीं उपचुनाव हारने से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की साख भी प्रभावित होगी। इसके अलावा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, जिन्हें पार्टी का ‘शुभंकर’ माना जाता है, उनकी छवि पर भी इस हार का असर दिखाई पड़ेगा। वहीं, दलबदल का आसार भाजपा में विमर्ष करने पर मजबूर करेगा !