मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेराफेरी : कांग्रेस

राहुल गांधी के मध्य प्रदेश दौरे से पहले शनिवार को कांग्रेस नेताओं ने संयुक्त प्रेसवार्ता कर केंद्र सरकार और भारत निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाए।

कांग्रेस नेताओं ने केंद्र सरकार और भारत निर्वाचन आयोग पर स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के नाम पर मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेराफेरी करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने इस प्रक्रिया को “लोकतंत्र पर सीधा हमला” बताया और इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, और SIR कमेटी के चेयरमैन सज्जन वर्मा मौजूद रहे। कांग्रेस ने घोषणा की कि इस मुद्दे को लेकर 25 नवंबर को रामलीला मैदान में एक विशाल रैली आयोजित की जाएगी और राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि SIR के नए नियमों में नागरिकों से नागरिकता का प्रमाण मांगा जा रहा है, जो गरीब, बेघर और वंचित वर्गों के लिए एक बड़ा खतरा है।उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट तैयार करना निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है, न कि मतदाता का नागरिकता साबित करना। 

उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में 62 लाख वोटरों के नाम काटे गए हैं, जिनमें अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, और भाजपा इसे “घुसपैठ रोकने” के नाम पर राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही है।

जीतू पटवारी ने दावा किया कि SIR प्रक्रिया के नाम पर देशभर में लाखों लोगों के वोट काटे जा रहे हैं, जो “लोकतंत्र की आत्मा पर प्रहार” है !  पटवारी ने दावा किया कि मध्य प्रदेश में 35 लाख से अधिक लोगों ने SIR के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान में हिस्सा लिया है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने SIR को लेकर पहले ही विधानसभा का प्रभारी बनाकर ट्रेनिंग दी है और हर विधानसभा में वकील की नियुक्ति की है।

सज्जन वर्मा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को “भाजपा का एजेंट” तक बता दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग की नई गाइडलाइन के तहत अब बीएलओ (BLO) आउटसोर्स या अस्थाई कर्मचारी हो सकता है, जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयोग ने भाजपा के दबाव में जल्दबाजी में SIR लागू किया, ऐप काम नहीं कर रहा, और कई बूथों पर गणना पत्रक नहीं पहुंचे हैं।

उमंग सिंघार ने कहा कि 12 राज्यों में 21 साल बाद शुरू हुई SIR प्रक्रिया “वोट चोरी का नया तरीका” है। उन्होंने दावा किया कि मध्य प्रदेश में 50 लाख वोट कटने वाले हैं, जिनमें अधिकांश मजदूर, आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्ग के हैं।  उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है।