मुख्यमंत्री की ड्यूटी से गायब रहे डॉ. संदीप जैन, चिकित्सा विभाग में मचा हड़कंप — डीन से हुई कठोर कार्रवाई की मांग
छिंदवाड़ा में बीते दिनों चिकित्सा विभाग के लिए अत्यंत संवेदनशील समय चल रहा था, जब जहरीले कफ सिरप से 22 बच्चों की मौत हो चुकी थी। ऐसे में मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव के छिंदवाड़ा प्रवास (दिनांक 6 अक्टूबर 2025) के दौरान उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य डयूटी में कथित लापरवाही और शासकीय आदेशों की अनदेखी सामने आई है।
मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान चिकित्सा व्यवस्था की ज़िम्मेदारी संभालने वाले डॉ. संदीप जैन का ड्यूटी पर न पहुँचना , बल्कि उसी समय अपने प्राइवेट किलीनिक में पैसे कमाने की हवस में अंधे हुए यह चिकित्सक मरीज देख रहा था ! ऐसे में इस लापरवाह चिकित्सक की विभागीय अनुशासन और सरकारी सेवा भावना के प्रति उनके गंभीर उपेक्षापूर्ण रवैये को दर्शाता है।
मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री की वीआईपी ड्यूटी जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी से डॉ. जैन का अनुपस्थित रहना केवल एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे चिकित्सा तंत्र के प्रति असंवेदनशीलता का उदाहरण है।
इस मामले की सूचना विभाग द्वारा डीन को भेजी गई है, ताकि इस पर आवश्यक कार्रवाई की जा सके। अब निगाहें डीन पर टिकी हैं कि वे इस मामले में क्या कठोर निर्णय लेते हैं। सूत्रों का कहना है कि विभाग ने इस बार सिर्फ सूचना दी है, नोटिस भी जारी किया गया है, अब डीन से अपेक्षा की जा रही है कि वे मामले की गंभीरता को देखते हुए ठोस कदम उठाएं।
विभागीय सूत्रों ने यह भी बताया कि यह पहली बार नहीं है जब डॉ. जैन पर लापरवाही के आरोप लगे हों। इससे पहले भी कई बार उन्हें चेतावनी दी जा चुकी है — परंतु इसका उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अब सवाल यह उठता है कि जब इतना संवेदनशील और जिम्मेदारी भरा कार्य वे नहीं निभा पाए, तो उनसे अन्य शासकीय कर्तव्यों की अपेक्षा कैसे की जा सकती है?
क्या वाकई डॉ. जैन किसी संरक्षण या प्रभाव के कारण अब तक कार्रवाई से बचते आ रहे हैं ? यह सवाल अब स्वास्थ्य विभाग के अंदरूनी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
स्थानीय चिकित्सक समुदाय का कहना है कि अब केवल चेतावनी नहीं, बल्कि कठोर विभागीय कार्रवाई आवश्यक है, ताकि सरकारी सेवा की गरिमा और जवाबदेही दोनों बरकरार रह सकें।