नशे के खिलाफ आवाज दबाना चाहता है प्रशासन ..

छिन्दवाड़ा// नशा मुक्त समाज की कल्पना का ढोंग करने वाली पुलिस और प्रशासन ही नशे को बढ़ावा दे रहा है यह बात जग जाहिर हो चुकी है। नशे के विरुद्ध मुहिम चलाने वाली कांग्रेस की महिला नेत्री की मामूली धाराओं में गिरफ्तारी और सक्षम जमानत प्रस्तुत करने के बाद भी जबरिया जेल में रखना पुलिस और प्रशासन की सोच समझी साजिश है जिसका महिला कांग्रेस खुला विरोध करती है।  महिला कांग्रेस की प्रवक्ता श्रीमती सरला सिसोदिया ने जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से व्यक्त किए ….

श्रीमती सरला सिसोदिया ने शासन के नशा मुक्ति अभियान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जिला मुख्यालय सहित जिले के कोने-कोने में अवैध शराब की बिक्री, अवैध आहतों के संचालन बेखौफ हो रहे हैं, क्योंकि इसमें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा शामिल है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने हाथों में चूडियां पहन रखी है, इसीलिये वे शराब माफियाओं पर कार्रवाई नहीं कर पा रही, इसीलिये उन्होंने महिला को हिराशत में लेकर जेल भेज दिया। एक सशक्त और जन आवाज की शासन व प्रशासन को उसकी जिम्मेदारियों का एहसास करा रही थी, इस आवाज़ को दबाने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस नेत्री पूर्णिमा वर्मा कि लोधी समाज की भी पूर्व अध्यक्ष हैं, एक सशक्त निर्भीक सामाजिक कार्यकर्ता भी है जो कि लगातार महिलाओं के उत्थान, सामाजिक बुराइयों का सफाया, शराबबंदी और जनहित के कार्यों में सक्रिय  रही है, शासकीय तंत्र के नुमाइंदे भाजपा के छूटभैया नेताओं और शराब माफियाओं के इशारों पर दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई कर रही है। महिलाओं को पूर्णिमा वर्मा पर पूरा विश्वास है क्योंकि पूर्णिमा वर्मा महिलाओं को और उनके परिवार को सुरक्षित होने का एहसास कराने की ताकत रखती है। समाज को नशे से दूर रखने की कोशिश कर पूर्णिमा वर्मा ने ऐसी क्या गलती कर दी कि उनके साथ झूठी कार्रवाई कर राजनीतिक दूराभाव किया जा रहा है।

कानून के मुताबिक किसी भी महिला को रात्रि में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता फिर भी उन्हें रात भर पुलिस हिरासत में क्यों रखा गया। सुबह उन्हें तहसीलदार के समक्ष पेश किया गया तहसीलदार के द्वारा भाजपा के इशारे पर उनसे बंध -पत्र मांगा गया जिसे बनने में 8 से 10 दिन का समय लगता है। इस तरह की द्वेषपूर्ण कार्यवाही कर महिलाओं की आवाज को दबाना दहशत का माहौल निर्मित करने के उद्देश्य से जो षड्यंत्र किया गया वह निश्चित तौर पर निंदनीय है, यह महिला विरोधी सरकार जल्द ही होश में आ जाए और महिलाओं को मजबूर ना करें कि उन्हें सड़क पर उतरकर उग्र आंदोलन करने की जरूरत पड़े।