श्रीकृष्णार्जुन संवाद धारावाहिक की 144 वी कड़ी.. 

मध्य प्रदेश के नरसिंगपुर जिले की माटी के मूर्धन्य साहित्यकार स्वर्गीय डॉक्टर रमेश कुमार बुधौलिया जी द्वारा रचित ‘श्रीकृष्णार्जुन संवाद ,धार्मिक साहित्यिक धरोहर है, जिसमे डॉक्टर साहब द्वारा श्रीमद्भगवतगीता  का भावानुवाद किया है ! श्रीमद्भगवतगीता के 700 संस्कृत श्लोकों को ‘श्रीकृष्णार्जुन संवाद में मात्र 697 विलक्ष्ण छंदों में समेटा गया है। गीता के समस्त अठारह अध्यायों का डॉ. बुधौलिया ने गहन अध्ययन करके जो काव्यात्मक प्रदेय हमें सौंपा है, वह अभूतपूर्व है। इतना प्रभावशाली काव्य-रूप बहुत कम देखने को मिलता है। जिनमें सहज-सरल तरीके से गीताजी को समझाने की सार्थक कोशिश की गई है।
इस दिशा में डॉ. बुधौलिया ने स्तुत्य कार्य किया। गीता का छंदमय हिंदी अनुवाद प्रस्तुत करके वह हिंदी साहित्य को दरअसल एक धरोहर सौंप गए।
आज वह हमारे बीच डॉ. बुधोलिया सशरीर भले नहीं हैं, लेकिन उनकी यह अमर कृति योगों युगों तक हिंदी साहित्य के पाठकों को अनुप्राणित करती रहेगी ! उन्ही के द्वारा श्रीमद्भगवतगीता महाकाव्य की छंदोंमयी श्रंखला श्रीकृष्णार्जुन संवाद धारावाहिक की 144 वी कड़ी.. 

अठारहवाँ अध्याय : मोक्ष-सन्यास योग

 

गुरू व्यास देव की कृपा रही, सामर्थ्य मिला अवसर पाया,

अर्जुन के प्रति जो कहा गया, वह मैंने अविकल सुन पाया।

श्रीकृष्ण परम योगेश्वर की, साक्षात सुनी मैंने वाणी,

व्याख्या योगो की गोपनीय-सुन मुक्ति प्राप्त करता प्राणी।-75

 

भगवान कृष्ण अरू अर्जुन के, राजन अदभुत संवाद सुने,

सुधि करता उनकी बार बार, मन में आनंद अमित उपजे।

हर्षित होता हूँ रोमांचित क्षण प्रतिक्षण उसकी सुधि आती,

अन्तस्तल आलोकित होता, अति दिव्य छटा सी छा जाती।-76

 

भगवान कृष्ण का दिव्य रूप, नयनों में भरता है ललकन,

उसकी मैं पुनि-पुनि सुधि करता, राजन तन में होती पुलकन।

सुधि करता प्रमुदित होता मैं, साक्षात किया मैंने दर्शन,

वह परम अनूठा रूप रहा, आश्चर्यचकित है मेरा मन।-77

 

योगेश्वर हो श्रीकृष्ण जहाँ, अरू जहाँ धनुर्धर हो अर्जुन,

बसती है वहाँ राजलक्ष्मी, सम्पत्ति विपुल अरू अक्षय धन।

ऐश्वर्य समस्त वहाँ होता, होती है विजय अटल, राजन,

होती है शक्ति, नीति होती यह देख रहा हैं मेरा मन।-78

॥ इति अष्टदशम अध्याय ।।

                                                                             ॥ इति श्रीमदभगवद्गीता ॥