श्रीकृष्णार्जुन संवाद धारावाहिक की चौथी कड़ी..

मध्य प्रदेश के नरसिंगपुर जिले की माटी के मूर्धन्य साहित्यकार स्वर्गीय डॉक्टर रमेश कुमार बुधौलिया जी द्वारा रचित ‘श्रीकृष्णार्जुन संवाद ,धार्मिक साहित्यिक धरोहर है, जिसमे डॉक्टर साहब द्वारा श्रीमद्भगवतगीता  का भावानुवाद किया है ! श्रीमद्भगवतगीता के 700 संस्कृत श्लोकों को ‘श्रीकृष्णार्जुन संवाद में मात्र 697 विलक्ष्ण छंदों में समेटा गया है। गीता के समस्त अठारह अध्यायों का डॉ. बुधौलिया ने गहन अध्ययन करके जो काव्यात्मक प्रदेय हमें सौंपा है, वह अभूतपूर्व है। इतना प्रभावशाली काव्य-रूप बहुत कम देखने को मिलता है। जिनमें सहज-सरल तरीके से गीताजी को समझाने की सार्थक कोशिश की गई है।
इस दिशा में डॉ. बुधौलिया ने स्तुत्य कार्य किया। गीता का छंदमय हिंदी अनुवाद प्रस्तुत करके वह हिंदी साहित्य को दरअसल एक धरोहर सौंप गए।
आज वह हमारे बीच डॉ. बुधोलिया सशरीर भले नहीं हैं, लेकिन उनकी यह अमर कृति योगों युगों तक हिंदी साहित्य के पाठकों को अनुप्राणित करती रहेगी ! उन्ही के द्वारा श्रीमद्भगवतगीता महाकाव्य की छंदोंमयी श्रंखला श्रीकृष्णार्जुन संवाद धारावाहिक की चौथी कड़ी..       
            
पहला अध्याय : अर्जुन विषाद योग
बज उठे शंख बज उठे ढोल, बज उठै नगांडे एक साथ,बज उठी भेरियाँ अरू मृदंग, गोमुख भी उनके साथ साथ,

भर गया घोष, भर गया शोर, स्वर सबके मिलकर घोर हुए,

कर दिया भीष्म ने शंखनाद, कुरूवंशी सभी विभोर हुए।-13

 

उस ओर सारथी अर्जुन के, बनकर माधव बैठे रथ में,

जो अग्निदेव का दिया हुआ, थे जुते धवल घोड़े जिसमें।

दोनों ने फेंके दिव्य शंख, भर गया अलौकिक नाद वहाँ

उसका ही विजय वरण करती, होता है प्रभु का साथ जहाँ।-14

श्रीकृष्णार्जुन संवाद

स्वामी रहे इन्द्रियों के जो क्षीकेश ने शंख बजाया,

पाञ्चजन्य फूंकते हषीकेष, देवदत्त धनंजय ने फूँका,

पौण्ड्र शंख को फूँक वृकोदर, भीम सेन स्वर के संग हूका

तदनन्तर पौण्ड्रम महाशंख, अतिबली वृकोदर ने फूंका।-15

 

पाण्डव युवराज युधिष्ठिर ने, फूँका राजन अनंत विजयम,

सहदेव नकुल मणि पुष्पक, करते सुघोष से नभ छेदन।

अलग-अलग शंखों का वादन, करता नव उत्साह प्रवाहित

सन्मार्गी के मन में सत की, बहती नित रसधार अबाधित।-16    क्रमशः…