रचित ‘श्रीकृष्णार्जुन संवाद ,धार्मिक साहित्यिक धरोहर है, जिसमे डॉक्टर साहब द्वारा श्रीमद्भगवतगीता का भावानुवाद किया है ! श्रीमद्भगवतगीता के 700 संस्कृत श्लोकों को ‘श्रीकृष्णार्जुन संवाद में मात्र 697 विलक्ष्ण छंदों में समेटा गया है। गीता के समस्त अठारह अध्यायों का डॉ. बुधौलिया ने गहन अध्ययन करके जो काव्यात्मक प्रदेय हमें सौंपा है, वह अभूतपूर्व है। इतना प्रभावशाली काव्य-रूप बहुत कम देखने को मिलता है। जिनमें सहज-सरल तरीके से गीताजी को समझाने की सार्थक कोशिश की गई है। धृतराष्ट्र ने कहा
कुरूक्षेत्र धर्म का क्षेत्र जहाँ, एकत्रित हुये सुजन सारे,
मेरे सुत जहाँ सभी पहुँचे, पाण्डव सुत जहाँ जुड़े सारे।
घट रहा वहाँ क्या घटनाक्रम वृतांत कहो संजय मुझसे,
क्या किया उन्होंने बतलाओ जो जुड़े युद्ध की इच्छा से।-1
संजय बोले सुनिये राजन, सेनाएँ रण में सजी हुई,
अपने अपने रचव्यूह चक्र, उद्यत लड़ने को अड़ी हुई,
पाण्डव की व्यूह रचित सेना, लखकर दुर्योधन सजग हुआ,
नरपति रणपति से यो बोला जा निकट द्रोणगुरू के राजन।-2
आचार्य देखिये यह सेना, जो व्यूहाकार विशाल खड़ी,
जिसकी धृष्टधुम्न युत द्रुपत सुत ने, गूँथी है मानो लड़ी।
वह शिष्य आपका बुद्धिमान, उसने यह कौशल दिखलाया,
पाण्डव सेना का व्यूह कवच, उसने अभेद्य यह फैलाया।-3
भीमार्जुन जैसे रण योद्धा, सम्मिलित हैं पाण्डव सेना में
वहू वीर धनुर्धर महारथी,जुड़ आये पाण्डव सेना में
युयुधान,विराट द्रुपद जैसे योद्धाओं से सम्पन्न अनी,
हैं एक से चढ़ बढ़कर, पाण्डव सेना में महाबली।-4 क्रमशः….