त्वरित टिप्पणी……
💥 चांवल की खीर में इल्लियाँ:…...
मध्याह्न भोजन नहीं, बच्चों के जीवन को दांव पर लगाने वाली घिनौनी लापरवाही !
एक छोटा प्रकरण, बड़ा संदेश…..
छिंदवाड़ा // चौरई विकासखंड के ग्राम बगदरी के सरकारी विद्यालय में जो हुआ, वह सिर्फ एक “गलती” नहीं थी , वह अलार्म है। सरस्वती समूह द्वारा संचालित मिड-डे मील के दौरान, बच्चे जो खीर खा रहे थे, उसमें इल्ली मिली कि यह किसी स्वास्थ्य आपदा से कम नहीं।
खाने के दौरान एक छात्र ने निवाले में कीड़े को देखा और तुरंत शिक्षक व प्रबंधन को सूचना दी। शिक्षकों ने तुरंत बचाव किया लेकिन वह बचाव सिर्फ समय की देरी तक सीमित रहा। परिजनों का आरोप है कि प्रबंधन ने उन्हें घटना की सूचना छुपाई, और उन्हें तब खबर मिली जब बच्चे घर लौटे !
जिम्मेदार कौन ? प्रबंधन, विभाग या लापरवाही का तंत्र ?
मिड-डे मील प्रभारी सुधीर विश्वकर्मा ने बताया कि खाद्य सामग्री विभाग से कुछ ही दिन पहले आई थी। लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि अगर खाद्य सामग्री “नई” थी, तो गुणवत्ता जांच कब और कैसे हुई ? और यदि पहले से ही गुणवत्ताहीन सामग्री भेजी गई थी, तो विभागीय निरीक्षकों की जवाबदेही कहाँ है ?
क्वालिटी मॉनिटर टीम मौके पर पहुंची और भोजन के नमूने लेकर जांच शुरू कर दी गई है। यह एक औपचारिक कदम है, लेकिन तब तक होनी हो चुकी थी। परिजनों और स्थानीय लोग अब मांग कर रहे हैं ठोस कार्रवाई, न कि सिर्फ आश्वासन।
सुस्त सिस्टम की लापरवाही या व्यवस्था का झूठा प्रपंच ?
तमाम स्कूलों में मिड-डे मील चलाने का दायित्व प्रबंधन और विभागीय तंत्र साझा करते हैं। जब सामग्री विभाग से “ठीक” आएगी, निरीक्षक वही सिलसिला मान लेंगे, लेकिन सच्चाई इस दायरे के बाहर कहीं छिपी है। इस घटना में यह स्पष्ट संभावना है कि गुणवत्ता नियंत्रण या निरीक्षण तंत्र मात्र दिखावा बन गया है , जबकि मूल समस्या जड़ में बैठी है।प्रबंधन की सूचना छुपाने की मानसिकता
परिजनों का आरोप गंभीर है कि स्कूल प्रबंधन ने घटना की सूचना सीधे माता-पिता को नहीं दी, बल्कि बच्चों के माध्यम से इसे बताया! यह सूचना छुपाने की प्रवृत्ति दोषी अधिकारियों को समय देने जैसा है। इस कदम से यह संदेश जाता है कि “गलती हुई है, लेकिन दोष को उजागर नहीं होने देंगे।”
शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों पर हमला —स्कूल होना चाहिए बच्चों का सुरक्षा तंत्र, न कि खतरे का अड्डा, इस तरह की घटना जिसमें भोजन में कीड़े, घटिया सामग्री और प्रबंधन की लापरवाही शामिल हो यह दिखाती है कि गरीब बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य राजनीतिक बयानबाज़ी मात्र बने हैं।
आचरणीय कार्रवाई की कमी…जब विभाग और स्कूल ऐसे मामलों में चूक कर जाते हैं, तो जनता और अभिभावकों को भरोसा मिलता है कि “जांच होगी, कार्रवाई होगी।” लेकिन हजारों मामलों में कार्रवाई न होने का इतिहास है। अगर इस घटना को भी उसी नियति से गुज़रना पड़े, तो यह बच्चे– बच्चियों की जानों की अनदेखी का प्रतीक बनेगी।
यह घटना सिर्फ बगदरी स्कूल की नहीं बल्कि यह हमारे शिक्षा-स्वास्थ्य तंत्र की चरम चूक की गवाही है। यह मासूम बच्चे उदाहरण नहीं, बलि बनते हैं, तो हमें यह तय करना होगा कि क्या हम सुनते रहेंगे, या कार्रवाई करवाएँगे?
असल सवाल यह है कि अगर दोषियों पर तुरंत और कठोर कार्रवाई न हुई, तो यह “छोटा हादसा” बन जाएगा कल की बड़ी त्रासदी।