श्रीकृष्णार्जुन संवाद धारावाहिक की 26वी कड़ी..   

मध्य प्रदेश के नरसिंगपुर जिले की माटी के मूर्धन्य साहित्यकार स्वर्गीय डॉक्टर रमेश कुमार बुधौलिया जी द्वारा रचित ‘श्रीकृष्णार्जुन संवाद ,धार्मिक साहित्यिक धरोहर है, जिसमे डॉक्टर साहब द्वारा श्रीमद्भगवतगीता  का भावानुवाद किया है ! श्रीमद्भगवतगीता के 700 संस्कृत श्लोकों को ‘श्रीकृष्णार्जुन संवाद में मात्र 697 विलक्ष्ण छंदों में समेटा गया है। गीता के समस्त अठारह अध्यायों का डॉ. बुधौलिया ने गहन अध्ययन करके जो काव्यात्मक प्रदेय हमें सौंपा है, वह अभूतपूर्व है। इतना प्रभावशाली काव्य-रूप बहुत कम देखने को मिलता है। जिनमें सहज-सरल तरीके से गीताजी को समझाने की सार्थक कोशिश की गई है।
इस दिशा में डॉ. बुधौलिया ने स्तुत्य कार्य किया। गीता का छंदमय हिंदी अनुवाद प्रस्तुत करके वह हिंदी साहित्य को दरअसल एक धरोहर सौंप गए।
आज वह हमारे बीच डॉ. बुधोलिया सशरीर भले नहीं हैं, लेकिन उनकी यह अमर कृति योगों युगों तक हिंदी साहित्य के पाठकों को अनुप्राणित करती रहेगी ! उन्ही के द्वारा श्रीमद्भगवतगीता महाकाव्य की छंदोंमयी श्रंखला श्रीकृष्णार्जुन संवाद धारावाहिक की 26वी कड़ी..   
   
दूसरा अध्याय : सांख्य योग                                                                                                                                                                   
समबुद्धि हुए जो ज्ञानीजन, वे कर्मफलों को त्याग चले,
देवार्पित अपने कर्म किये, वे जन्म-मरण के पार चले।

वे मुक्त अनामय पद पाते कोई न जहाँ दुख व्याप सके

यह रहा कर्म का कौशल ही जो भक्ति-भाव को साध सके। 51

 

दलदल यह साधन मोहरूपी, जिस क्षण कर लेगी बुद्धि पार,

उस क्षण तेरी निर्मल मति में, हे अर्जुन जागेगा विराग।

उस सबके प्रति जो सुना गया, जो सुनने योग्य रहा तुझको,

सारे सकाम कर्मों के प्रति, होगी विरक्ति अर्जुन, तुझको ।-52

 

श्रुति मण्डित तेरा ज्ञान रहा, विचलित है कर्मफलों से मन

कर उसे अचल एकाग्र बुद्धि हो आत्मनिष्ठ, फिर लख अर्जुन।

तू प्राप्त करेगा बुद्धि, योग वह दिव्य भाव, अविकारी मन,

इसलिए सुस्थिर प्रज्ञा कर, कर्तव्य पूर्ण कर, तू अर्जुन।-53

अर्जुन उवाच :-

अर्जुन ने पूछा हे केशव, हम स्थित प्रज्ञ किसे कहते ?

क्या लक्षण, क्या पहिचान रही, स्थित समाधि में जो रहते?

कैसी उनकी, भाषा वाणी, किस तरह बोलता वह भगवन?

किस तरह रहे, व्यवहार करे, चलना कैसा उसका भगवन ?-54    क्रमशः…