प्रदेश में हरितमा की दुशाल अन्य प्रदेशों की तरह आज भी धानी है ! प्रदेश वन व वन्य प्राणियों से सम्रध्य पर्यावरण प्रेमियों की ख़ास पसंद है ! यहाँ की जलवायु और सम्रध्य वन संपदा से खासकर बाघों की नर्सरी के रूप में आपनी पहचान बनाने में कामयाब हुआ है प्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने दो दिसंबर को रातापानी अभयारण्य को नौंवा टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया….
मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व के मामले में बाघों के संरक्षण के साथ-साथ उनके आवासों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। वर्तमान में प्रदेश में सात प्रमुख टाइगर रिजर्व हैं—कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना, सतपुड़ा, संजय दुबरी, और नौरादेही। रातापानी और माधव नेशनल पार्क के टाइगर रिजर्व बनने से यह संख्या बढ़कर 9 हो गई है, जो प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या और संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
गत दिवस केंद्र सरकार ने शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क को प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व घोषित किया था। अब मध्य प्रदेश में टाइगर रिजर्व की संख्या 7 से बढ़कर 9 हो गई है, जिससे राज्य की टाइगर राजधानी के रूप में अंतरराष्ट्रीय पहचान मजबूत होगी।
मध्य प्रदेश को बाघों का राज्य मानने के पीछे एक बड़ा कारण प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या है। 2 दिसंबर को रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया, जिससे प्रदेश के टाइगर रिजर्व की संख्या 9 हो गई। रातापानी टाइगर रिजर्व भोपाल से लगे रायसेन और सीहोर जिलों में स्थित है। इसकी अधिसूचना जारी करते हुए राज्य सरकार ने इसके कोर एरिया का रकबा 763.812 वर्ग किलोमीटर और बफर एरिया का रकबा 507.653 वर्ग किलोमीटर निर्धारित किया है, जिससे टाइगर रिजर्व का कुल रकबा 1271.465 वर्ग किलोमीटर हो गया है।
रातापानी टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में 9 गांव शामिल किए गए हैं, जिनमें झिरी बहेड़ा, जावरा मलखार, देलावाड़ी, सुरई ढाबा, पांझिर, कैरी चौका, दांतखो, साजौली और जैतपुर के गांवों का रकबा 26.947 वर्ग किलोमीटर है। हालांकि, इन गांवों को कोर क्षेत्र में शामिल नहीं किया गया है। रातापानी टाइगर रिजर्व बनने से न केवल बाघों के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी ईको-टूरिज़्म के माध्यम से रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। यह क्षेत्र स्थानीय निवासियों के लिए एक नई उम्मीद के रूप में सामने आएगा, क्योंकि टाइगर रिजर्व बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा।