वन विभाग की कार्रवाई : अवैध शिकार का भंडाफोड़

मोरडोंगरी क्षेत्र में अवैध शिकार का भंडाफोड़: वन विभाग की बड़ी कार्रवाई, पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का संदेश

छिंदवाड़ा // सावरी वनपरिक्षेत्र के मोरडोंगरी बीट में वन विभाग की टीम ने वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए जंगली सूअर के अवैध शिकार का मामला पकड़ा। यह कार्रवाई न केवल अपराधियों पर नकेल कसने का उदाहरण है, बल्कि जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति बढ़ती जिम्मेदारी की जरूरत को भी रेखांकित करती है।

वन्य प्राणी: जंगल का संतुलन, प्रकृति की धरोहर

वन्य प्राणि केवल जंगल का हिस्सा नहीं, बल्कि संपूर्ण पर्यावरणीय तंत्र का महत्वपूर्ण आधार हैं। जंगली सूअर जैसे जीव—

  • वनस्पतियों के प्राकृतिक वितरण में भूमिका निभाते हैं,

  • मिट्टी को जैविक रूप से समृद्ध करते हैं,

  • और शिकारी प्रजातियों के भोजन चक्र को संतुलित रखते हैं।

ऐसे जीवों की अवैध हत्या प्रकृति के जैविक संतुलन को गम्भीर रूप से प्रभावित करती है।

 घटना का पर्यावरणीय दृष्टिकोण से विस्तृत विवरण ..

21 नवंबर 2025 को मिली गोपनीय सूचना के बाद वन टीम ने मोरडोंगरी क्षेत्र में दबिश दी और एक व्यक्ति अर्जुन सिंग  पिता तिलक सिंग  जूनी  को जंगली सूअर का मांस बेचने की तैयारी करते हुए पकड़ा। टीम द्वारा मौके से 24.200 किलो कच्चा मांस और अन्य शिकार में उपयोग की जाने वाली सामग्री जब्त की गई।

वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह घटना सिर्फ कानूनी अपराध नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के खिलाफ की गई गंभीर वारदात है, जो वन्यजीवों की घटती संख्या पर और अधिक खतरा बढ़ा सकती थी।

शिकारी से जब्त वस्तुओं में शामिल थे :  जंगली सूअर का 24.200 किलो मांस , शिकार में प्रयुक्त लोहे के औज़ार,  बिना नंबर की मोटरसाइकिल , विभिन्न उपकरण व मोबाइल फोन ..

ये सभी अवैध गतिविधियों के संगठित स्वरूप की ओर संकेत करते हैं, जो वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को कमजोर करती हैं।

अपराध का विवरण व कानूनी प्रावधान

आरोपी के खिलाफ वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम-1972 की धारा-9, 39, 48(A), 50, 51 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

ये धाराएँ जंगली जानवरों के शिकार, अवैध परिवहन, व्यापार तथा वन्यजीव उत्पादों की बिक्री पर कठोर दंड का प्रावधान करती हैं जिसमें—

  • 3 से 7 वर्ष की सजा

  • 10,000 से 25,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। वन विभाग ने आरोपी को न्यायालय में प्रस्तुत कर जेल भेज दिया।

ये प्रावधान केवल कानून का अनुशासन नहीं बल्कि पर्यावरणीय सुरक्षा का ढांचा भी हैं।

त्वरित कार्रवाई: टीम ने दिया संरक्षण का मजबूत संदेश

सूचना मिलते ही समूचे मामले की निगरानी वन संरक्षक श्री मधु व्ही राज के निर्देशन में वनमंडलाधिकारी श्री साहिल गर्ग और एसडीओ विजेंद्र खोप्रागड़े द्वारा की गई।

ऑपरेशन का नेतृत्व परिक्षेत्र अधिकारी सुश्री कीर्ति वाला गुप्ता ने किया।

कार्रवाई टीम में शामिल : वन सहायक शत्रुघ्न मिश्रा ,वनपाल पंकज सोनी ,रविन्द्र सोनी ,क्षेत्रीय कर्मचारी: सौरभ सिंह चौहान, रविंद्र सोनी, शैलेन्द्र वाजपेयी, राहुल शर्मा सहित  सभी कर्मचारी मौके पर उपस्थित रहकर कार्रवाई को अंजाम देने में सफल रहे।

यह अभियान वन विभाग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है—

“अवैध शिकार रोकना, जंगल की जैव विविधता बचाना, और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति को सुरक्षित रखना।”

पर्यावरणीय संदेश: वन्यजीव संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी

वन्य प्राणी जंगल की आत्मा हैं। उनका अस्तित्व—

  • वन संरक्षण,

  • जल संरक्षण,

  • जलवायु संतुलन,

  • और जैव विविधता की निरंतरता सबसे जुड़ा हुआ है।

अवैध शिकार से न केवल एक प्रजाति खतरे में आती है, बल्कि पूरा पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो जाता है।

वन विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि—

वन्यप्राणियों के अवैध शिकार, मांस बिक्री या किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत नजदीकी वन कार्यालय या टोल फ्री नंबर पर दें।

वन विभाग ने स्पष्ट किया है कि अवैध शिकार, वन्यप्राणियों की हत्या और व्यापार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है। उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी।

प्रकृति के प्रहरी बनें ..

यह कार्रवाई केवल एक अपराध पकड़ने भर नहीं है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि—

“प्रकृति की रक्षा केवल वन विभाग का काम नहीं, बल्कि हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।”