महाकौशल के वन और ट्री कवर की ताज़ा रिपोर्ट- स्थिति, तुलना व विश्लेषण

महाकौशल के जंगलों की ताज़ा तस्वीर ..

सतपुड़ा की सुरम्य वादियों से उठती हरियाली की पुकार — FSI रिपोर्ट में छिंदवाड़ा चमका, डिंडोरी पिछड़ा

✍️ रिपोर्ट – राकेश प्रजापति

सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में जब सुबह की धूप सुनहरे कणों की तरह बिखरती है, तो छिंदवाड़ा की हरियाली मानो अपनी देह पर ओस की परत ओढ़कर मुस्कुराती हुई दिखाई देती है। हरे-भरे साल और सागौन के वृक्ष हवा के झोंकों के साथ झूमते हैं, जैसे प्रकृति अपनी ही ताल पर नृत्य कर रही हो। कन्हरगाँव से लेकर पत्थरखेड़ा की पहाड़ियों तक फैला यह वनप्रदेश महाकौशल की प्राकृतिक विरासत का जीवंत दस्तावेज़ है।

इसी अनमोल प्राकृतिक धरोहर का ताज़ा मूल्यांकन फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) ने किया है। रिपोर्ट बताती है कि महाकौशल के पाँच जिलों—छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मंडला और डिंडोरी—में हरियाली की स्थिति अलग-अलग संकेत देती है। कहीं जंगलों ने अपनी प्राचीन गरिमा बनाए रखी है, तो कहीं पेड़ों का विरलापन और प्राकृतिक वनों में गिरावट चिंता जगाती है।

छिंदवाड़ा — हरियाली का असली केंद्रबिंदु

FSI-2023 की रिपोर्ट के अनुसार छिंदवाड़ा जिले में 4,500 वर्ग किमी से अधिक वन क्षेत्र दर्ज है, जो इसे मध्यप्रदेश के प्रमुख हरित जिलों की श्रेणी में लाता है।

2020 में प्राकृतिक वनों का प्रतिशत करीब 20% दर्ज हुआ — यह बताता है कि जिले ने अपने मूल वन-स्वरूप को काफी हद तक बचाया है।

घने सागौन वन, जीवंत बायोडायवर्सिटी और गैर-वन क्षेत्रों में भी लाखों पेड़ों की उपस्थिति छिंदवाड़ा को महाकौशल का ‘ग्रीन पल्स’ बनाती है।

सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में बसे इस जिले में, पेड़ों की हर छाया और हवा की हर सरसराहट एक कहानी कहती है—एक ऐसी कहानी जिसमें जंगल अब भी साँस ले रहे हैं।

बालाघाट — विशाल वन क्षेत्र वाला जिला, पर प्राकृतिक वन दबाव में

बालाघाट का कुल दर्ज वन क्षेत्र महाकोशल में सबसे बड़ा है।

लेकिन 2020 के प्राकृतिक वन प्रतिशत के अनुसार यह जिला अपेक्षाकृत नीचे आता है।

कारण—कुल वन क्षेत्र भले ही विशाल हो, लेकिन प्राकृतिक वनों की तुलना में प्लांटेशन और खुले वन क्षेत्र अधिक हैं।

फिर भी, बालाघाट अपने विस्तृत जंगलों के कारण मध्यप्रदेश की हरियाली का स्तंभ माना जाता है।

मंडला और सिवनी — स्थिर और संतुलित वन स्थिति

दोनों जिलों ने प्राकृतिक वन प्रतिशत के मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है।

मंडला में 22%

सिवनी में लगभग 19%

ये जिले नर्मदा-तट और सतपुड़ा-वन belt के कारण हमेशा से वन समृद्ध रहे हैं। FSI की रिपोर्ट उनके “सस्टेनेबल फॉरेस्ट-बैलेंस” को प्रमाणित करती है।

डिंडोरी — महाकोशल में सबसे कमजोर कड़ी

डिंडोरी जिला प्राकृतिक वन प्रतिशत में सबसे नीचे दर्ज हुआ।

2020 में natural forest केवल 14% दर्ज

वन क्षेत्र मौजूद है, पर प्राकृतिक हरियाली सिकुड़ रही है

यह संकेत है कि जिले में संरक्षण की दिशा में तेज और ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।

नगरीय सीमाओं में हरियाली पर भारी दबाव

रिपोर्ट बताती है कि छिंदवाड़ा, सिवनी और बालाघाट के नगर क्षेत्रों में हरियाली तेजी से घट रही है।

सड़क चौड़ीकरण, निर्माण गतिविधियाँ और शहरी विस्तार पेड़ों को निरंतर प्रभावित कर रहे हैं।

हालाँकि छिंदवाड़ा की नगर सीमा से बाहर मौजूद पेड़ों की भरपूर संख्या इस कमी को कुछ हद तक संतुलित करती है।

महाकौशल की कुल तस्वीर .. 

सबसे बेहतर प्राकृतिक हरियाली: मंडला और छिंदवाड़ा

सबसे कमजोर प्राकृतिक वन: डिंडोरी

सबसे बड़ा कुल वन क्षेत्र: बालाघाट

शहरी हरियाली पर सबसे अधिक दबाव: छिंदवाड़ा व सिवनी नगर क्षेत्र

क्या करें ?—वन संरक्षण के लिए सुझाए गए कदम

शहरी सीमाओं के भीतर पेड़ों के संरक्षण की सख्त नीति

वन क्षेत्रों में अतिक्रमण और अवैध कटाई पर निगरानी

फायर-प्रोन इलाकों में विशेष सतर्कता

ग्रामीण क्षेत्रों में “ट्री आउटसाइड फॉरेस्ट” को बढ़ावा

नगरपालिकाओं को ग्रीन-कवरेज बढ़ाने के लक्ष्य निर्धारित करना

निष्कर्ष : 

सतपुड़ा की गोद में बसे महाकौशल का यह पूरा इलाका प्रकृति का अनमोल उपहार है। FSI की रिपोर्ट बताती है कि जहाँ छिंदवाड़ा और मंडला ने हरियाली की अपनी पहचान को मजबूत रखा, वहीं डिंडोरी में स्थिति चिंता पैदा करती है। बालाघाट अपने बड़े वन क्षेत्र के बावजूद प्राकृतिक हरियाली की समितियों में सुधार की माँग करता है।

अगर समय रहते ठोस कदम उठाए जाएँ तो महाकौशल की पहाड़ियाँ उसी तरह हरी-भरी रह सकती हैं, जैसे सुबह की धूप में छिंदवाड़ा की घाटियाँ मुस्करा उठती हैं।