सांसद बंटी विवेक साहू ने भोजन में शुगर–सॉल्ट और आर्टिफिशियल फ्लेवर्स पर उठाई बड़ी चिंता, कमेटी के सामने रखे कड़े सुझाव
खाद्य सुरक्षा कानूनों के सख्त पालन और मिलावटखोरी पर कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर
छिंदवाड़ा // संसद की महत्वपूर्ण उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण समिति की लगातार चल रही बैठकों में छिंदवाड़ा सांसद बंटी विवेक साहू सक्रिय रूप से भाग लेते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा से जुड़े गंभीर मुद्दों पर लगातार ठोस सुझाव दे रहे हैं। उनके पूर्व सुझावों पर कमेटी द्वारा देशव्यापी स्तर पर कार्रवाई होने के बाद, सोमवार को दिल्ली स्थित संसद भवन में आयोजित दो महत्वपूर्ण बैठकों में भी उन्होंने बच्चों के स्वास्थ्य और खाद्य पदार्थों में मिलावट को लेकर बेहद अहम बिंदु उठाए।
बैठक की अध्यक्षता सांसद कनिमोझी करूणानिधि ने की। इस दौरान सांसद साहू ने बताया कि आज देशभर में बच्चे फास्ट फूड, सॉफ्ट ड्रिंक और पैकेज्ड फूड का अत्यधिक सेवन कर रहे हैं। इन उत्पादों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कंपनियां उनमें शुगर, नमक और आर्टिफिशियल फ्लेवर्स की अत्यधिक मात्रा मिलाती हैं, जो बच्चों में भविष्य में
मोटापा, हार्मोनल असंतुलन, किडनी संबंधी समस्या, एलर्जी जैसी गंभीर बीमारियों को जन्म देती हैं।
कंपनियों पर नियंत्रण और कड़े कानूनों के पालन की मांग
सांसद साहू ने कमेटी के सामने यह आग्रह किया कि—
1 पैकेज्ड फूड में शुगर और नमक की अधिकतम सीमा तय की जाए।
कंपनियों को बाध्य किया जाए कि वे निर्धारित सीमा से ऊपर मिठास या नमक का उपयोग न करें।
2 सेलिब्रिटी द्वारा बच्चों को लुभाने वाले फास्ट फूड/ड्रिंक विज्ञापनों पर रोक लगे।
सांसद ने कहा कि बच्चों को प्रभावित करने वाले विज्ञापन खाद्य स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं।
3 आर्टिफिशियल फ्लेवर्स, कृत्रिम रंग और रसायनों पर कठोर निगरानी हो।
कई फ्लेवर्स बच्चों में स्किन एलर्जी और ब्लड शुगर समस्याएं पैदा कर रहे हैं।
4 पैकेट्स पर सामग्री की पूरी और पारदर्शी जानकारी अनिवार्य की जाए।
उनके सुझाव के अनुसार पैक पर साफ लिखा हो : किस तत्व की कितनी मात्रा मिली है , किन लोगों को (डायबिटिक, एलर्जिक) यह उत्पाद नहीं खाना चाहिए , कानूनी और प्रशासनिक समस्याओं की भी हुई चर्चा , कमेटी के सदस्यों ने बताया कि देशभर में खाद्य पदार्थों की जांच (फूड टेस्टिंग) के लिए पर्याप्त लैब नहीं हैं।
रिपोर्ट आने में इतना समय लग जाता है कि
कंपनियां नाम बदल देती हैं
दूसरी जगह से नया उत्पाद लॉन्च कर देती हैं
इसी वजह से मिलावटखोरी पकड़ में आने के बाद भी कार्रवाई कमजोर पड़ जाती है।
इसलिए सांसद साहू ने देशभर में आधुनिक और तेज परीक्षण क्षमता वाली फूड टेस्टिंग लैब्स बढ़ाने का सुझाव दिया।
मिलावट और बच्चों को नुकसान पहुँचाने वाले खाद्य पदार्थों पर तंत्र की बड़ी जिम्मेदारी
सांसद साहू ने कहा कि—
“बच्चों से जुड़े खाद्य पदार्थों में मिलावट या अत्यधिक शुगर–सॉल्ट मिलाना एक गंभीर अपराध है। तंत्र का काम है कि खाद्य सुरक्षा कानूनों का कड़ाई से पालन करवाया जाए। उल्लंघन की स्थिति में संबंधित कंपनी व वितरकों पर त तुरंत कड़ी कार्रवाई हो।”
उन्होंने यह भी कहा कि: खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (FSSA) के तहत
मिलावट,
गलत लेबलिंग,
भ्रामक विज्ञापन
जैसे अपराधों पर जुर्माना, लाइसेंस निलंबन और कारावास तक की कार्रवाई का प्रावधान है। कमेटी ने सांसद साहू के सुझावों को गंभीरता से लेते हुए कई बिंदुओं पर कार्रवाई प्रारंभ करने का आश्वासन दिया।
बैठक में सांसद बंटी विवेक साहू की पहल बच्चों की बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं, खाद्य पदार्थों में मिलावट और बाजार में बढ़ते खतरनाक खाद्य रुझानों पर एक मजबूत हस्तक्षेप के रूप में सामने आई।
संसद की यह समिति इस दिशा में आने वाले समय में ठोस और देशव्यापी सुधार लागू कर सकती है।