नगर निगम में ई-अटेंडेंस से खुली हकीकत — भाई-भतीजावाद और सिफारिशी नियुक्तियों का काला खेल उजागर
छिंदवाड़ा // नगर पालिक निगम में ई-अटेंडेंस सिस्टम लागू होने के बाद वर्षों से दबा एक बड़ा सच सामने आने लगा है। निगम में वर्तमान में लगभग 1900 कर्मचारियों के नाम दर्ज हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि इनमें से करीब 400 कर्मचारी नियमित रूप से ड्यूटी पर मौजूद ही नहीं रहते थे। जैसे ही ई-अटेंडेंस शुरू हुआ, अनुपस्थित कर्मचारियों की पोल खुलने लगी।
सिफारिशों का बोलबाला, योग्यता की अनदेखी :
निगम सूत्रों के मुताबिक , निगम में पिछले वर्षों में नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद और रसूख की राजनीति हावी रही। अधिकारियों, पार्षदों, सभापतियों, नेताओं और रसूखदारों की सिफारिश पर ऐसे लोगों की भर्ती की गई जो न तो कार्य अनुभव रखते थे और न ही उनकी पदों पर आवश्यकता थी।
मतलब— नगर निगम नौकरी का केंद्र नहीं, बल्कि “अपनों को लाभ पहुंचाने का अड्डा” बन गया। स्थापना व्यय बढ़ा, निगम की वित्तीय हालत हुई खराब
नगर निगम में कर्मचारियों की संख्या वास्तविक जरूरत से कहीं अधिक होने के कारण स्थापना व्यय (Salary + Allowances) का बोझ बढ़ता चला गया। स्थिति यह हो गई कि आज निगम कंगाली की कगार पर है। कई बार कर्मचारियों को समय पर वेतन तक नहीं मिल पा रहा।
काम का बोझ वही पुराने कर्मचारी उठा रहे हैं, जबकि “सिफारिशी कर्मचारी” सिर्फ नाम के लिए पदों पर बने बैठे हैं। शहर संभालने वाली व्यवस्था खुद बेपटरी, तो फिर जनता किससे उम्मीद करे?
ई-अटेंडेंस ने किया खेल उजागर
जब निगम में ई-अटेंडेंस सिस्टम अनिवार्य किया गया तो लंबे समय से गायब चल रहे कर्मचारी चिह्नित हो गए। अब वेतन उपस्थिति के आधार पर दिया जाएगा। जिससे उन कर्मचारियों की जवाबदेही बढ़ेगी जो वास्तव में काम करते हैं और कामचोर कर्मचारियों के चेहरे उजागर होंगे।
नगर निगम आयुक्त का बयान भी स्पष्ट है: “अब कोई भी सिर्फ कागजों में कर्मचारी नहीं रहेगा। जो काम करेगा वही वेतन पाएगा।”
शहर के लिए उम्मीद की किरण : ई-अटेंडेंस सिस्टम लागू होना केवल तकनीकी सुधार नहीं, बल्कि व्यवस्था में पारदर्शिता और ईमानदारी की दिशा में बड़ा कदम है।
इससे —
मेहनती कर्मचारियों का सम्मान बढ़ेगा
कामचोर और फर्जी नियुक्त कर्मचारी बाहर होंगे
निगम की वित्तीय स्थिति सुधारने की शुरुआत होगी
छिंदवाड़ा में नगर निगम वर्षों से सिफारिशी भर्तियों और भाई-भतीजावाद के बोझ से दबा हुआ था। ई-अटेंडेंस ने वह सच सामने ला दिया, जिसे वर्षों से दबाने की कोशिश की जा रही थी।
अब देखना यह है कि प्रशासन कितनी कड़ाई से कार्रवाई करता है और क्या यह सुधार केवल कागजों में रह जाएगा या वाकई नगर निगम में कामकाज की नई साफ-सुथरी संस्कृति स्थापित होगी।