प्लेटिनियम खदान का विरोध तेज ..

उमरेठ के पास प्रस्तावित प्लेटिनियम खदान का विरोध तेज  किसानों ने कहा, “खदान आई तो उजड़ जाएगी हमारी जमीन, खत्म हो जाएगा भविष्य”

रिपोर्ट : राकेश प्रजापति, छिंदवाड़ा

उमरेठ क्षेत्र के पास प्रस्तावित प्लेटिनियम खदान परियोजना को लेकर क्षेत्र के किसानों, आदिवासियों और ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है। सोमवार को बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने तहसील कार्यालय पहुंचकर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा और परियोजना को तत्काल निरस्त करने की मांग की।

ग्रामीणों का कहना है कि जिस क्षेत्र में यह खदान प्रस्तावित है, वह उपजाऊ कृषि भूमि है, जो सैकड़ों परिवारों की आजीविका का एकमात्र स्रोत है। प्लेटिनियम की खुदाई से न केवल खेती प्रभावित होगी, बल्कि भूजल स्तर, पर्यावरणीय संतुलन और वनों की जैवविविधता पर भी गंभीर असर पड़ेगा।

“हमारी जमीन हमारी माँ है” — किसानों की आवाज़

विरोध प्रदर्शन में शामिल किसानों ने नारे लगाए — “जमीन नहीं देंगे, जीवन नहीं देंगे!”

उन्होंने कहा कि यह भूमि पीढ़ियों से उनके परिवार का सहारा रही है। अगर सरकार ने इसे खदान के लिए अधिग्रहित किया तो हजारों किसान बेरोजगार और बेघर हो जाएंगे।

एक ग्रामीण किसान ने भावुक होकर कहा —

“प्लेटिनियम से शायद सरकार को धन मिलेगा, लेकिन हमें सिर्फ उजाड़ और भूख मिलेगी।”

आदिवासी समुदाय का विरोध : “जल–जंगल–जमीन पर हमारा अधिकार”

क्षेत्र के आदिवासी समाज ने भी इस परियोजना को अपनी परंपरागत जीवनशैली के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा कि यह भूमि न केवल खेती का साधन है बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान का भी आधार है।

आदिवासी नेताओं ने कहा —

“हम विकास के विरोधी नहीं, लेकिन ऐसा विकास नहीं चाहते जो हमारी जमीन छीन ले। जंगल और नदी हमारे अस्तित्व का हिस्सा हैं।”

जनप्रतिनिधियों का भी समर्थन

इस मौके पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने किसानों के साथ कदम से कदम मिलाते हुए कहा कि सरकार को जनभावनाओं का सम्मान करना चाहिए। कांग्रेस विधायक सोहन वाल्मीक और निलेश उईके ने कहा कि इस तरह की परियोजनाएं तभी स्वीकार्य हैं जब स्थानीय लोगों की सहमति और पर्यावरणीय आकलन के आधार पर निर्णय लिया जाए।

पर्यावरण विशेषज्ञों की चेतावनी

विशेषज्ञों ने चेताया है कि इस क्षेत्र में खनन कार्य शुरू हुआ तो बड़ी मात्रा में भूजल प्रदूषित होगा, जिससे आसपास के गांवों में पेयजल संकट गहराएगा। वनों की कटाई और विस्फोटक गतिविधियों से वन्यजीवों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है।

विकास बनाम अस्तित्व का सवाल

उमरेठ की प्रस्तावित प्लेटिनियम खदान को लेकर उठी यह आवाज़ केवल स्थानीय विरोध नहीं, बल्कि “विकास बनाम अस्तित्व” की गूंज है। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार विकास के नाम पर उनके जीवन और आजीविका की कुर्बानी न ले, बल्कि ऐसे विकल्प खोजे जिनसे धरती बचे, जंगल बचे और इंसान भी बचे।