जुनून, जलन और जालसाजी : जिसने मौत की दहलीज़ तक पहुँचा दिया

“ जुनून, जलन और जालसाजी : एक ऐसी दोस्ती जिसने मौत की दहलीज़ तक पहुँचा दिया ”

टिप्पणी – राकेश प्रजापति

छिंदवाड़ा जिले के कोयलांचल में घटी लता मंडवार और शैफाली श्रीवास्तव की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं। यह घटना न सिर्फ रिश्तों की परिभाषा को हिलाकर रख देती है, बल्कि यह सवाल भी उठाती है कि आखिर समाज में भावनात्मक विचलन और अनियंत्रित लगाव किस तरह मनुष्य को अपराध की सीमा तक पहुँचा देता है।

दोस्ती से दुश्मनी तक का सफर ..

लता मंडवार, जो विवाहित और दो बच्चों की मां थीं, उसका परिचय शैफाली श्रीवास्तव से हुआ। धीरे-धीरे दोनों के बीच गहरी दोस्ती पनपी जो न जाने कैसे  असामान्य संबंध में तब्दील हो गई। कहा जा रहा है कि लता अपने वैवाहिक जीवन में भावनात्मक खालीपन महसूस कर रही थीं और शैफाली ने उसी कमजोरी का फायदा उठाया।

समय बीतने के साथ यह दोस्ती जुनून में बदल गई। लता अपने परिवार से दूर नही रहना चाहती थी , तब शैफाली के भीतर असुरक्षा और अधिकार बोध का भाव पनपा। बीते 19 अक्टूबर की दोपहर लता की मोबाइल कॉल पर आखिरी बातचीत हुई और कुछ ही घंटों में वह मृत पाई गईं। पुलिस जांच में सामने आया कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि योजनाबद्ध हत्या थी — एक ऐसी हत्या जो प्यार, जलन और स्वामित्व की भावना से उपजी थी।

एक भयावह मनोविज्ञान की परछाई ..

ऐसे कई मामलों में देखा गया है कि जब कोई व्यक्ति अपने जीवन में भावनात्मक सहारा ढूंढते-ढूंढते विपरीत दिशा में कदम बढ़ा देता है, तो वह मानसिक रूप से असंतुलित निर्णय लेने लगता है।

लता-शैफाली प्रकरण में भी यही हुआ। जहां एक ओर लता खुद को सामान्य जीवन में लौटाना चाहती थीं, वहीं दूसरी ओर शैफाली इस दूरी को अपने “अधिकार” पर चोट मान बैठी। परिणाम — एक भयावह अंत।

हाल ही में राजस्थान और दिल्ली में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां महिला-से-महिला संबंधों के टूटने पर एक पक्ष ने दूसरे पर हमला या हत्या तक कर दी। ये घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि समाज में बढ़ती एकाकी जीवनशैली, ऑनलाइन लगाव, और भावनात्मक रिक्तता लोगों को असामान्य संबंधों की ओर धकेल रही है।

समाज और परिवार की चूक..

यह घटना हमें याद दिलाती है कि जब परिवार के भीतर संवाद समाप्त हो जाता है, तब व्यक्ति बाहरी दुनिया में सहारा तलाशने लगता है। लता जैसी महिलाएं, जो समाज में सम्मानित और पारिवारिक जिम्मेदारियों से जुड़ी होती हैं, जब किसी भावनात्मक जाल में फँस जाती हैं तो वे अपने विवेक को पीछे छोड़ देती हैं।

समाज भी इन विषयों पर खुलकर चर्चा नहीं करता। परिणामस्वरूप, ऐसे रिश्ते “गुप्त” रूप में पनपते हैं — और जब वे टूटते हैं तो विस्फोटक रूप ले लेते हैं।

कानून और समाज दोनों को जागरूक होने की जरूरत ..

इस घटना में पुलिस ने सटीक जांच करते हुए शैफाली को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। लेकिन सवाल केवल अपराध का नहीं, उसके पीछे की सोच का भी है।

जरूरत है कि समाज इस तरह के भावनात्मक असंतुलन को समझे, परिजनों के बीच संवाद बढ़े, और मनोवैज्ञानिक परामर्श को शर्म नहीं, बल्कि ज़रूरत के रूप में देखा जाए।

प्यार अगर मर्यादा लांघे तो विनाश तय है ..

प्यार, स्नेह और दोस्ती – ये जीवन के सुंदर भाव हैं, लेकिन जब ये मर्यादाओं को लांघ जाते हैं तो उनका परिणाम लता मंडवार जैसी त्रासदी बन जाता है।

समाज को यह स्वीकार करना होगा कि भावनाओं की अति हमेशा विनाश की ओर ले जाती है। और जब संबंध स्वार्थ या नियंत्रण के दायरे में आ जाएं, तो वे पवित्र नहीं, खतरनाक हो जाते हैं।