मक्का किसान बेहाल: लागत भी नहीं निकल रही, भावांतर योजना लागू करने की मांग
छिंदवाड़ा / अमरवाड़ा। जिले के मक्का उत्पादक किसान इस समय गहरे संकट से जूझ रहे हैं। बाजार में मक्का की कीमतें लागत मूल्य से भी काफी कम होने के कारण किसानों को अपनी मेहनत का वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है। अपनी इस मजबूरी को सरकार तक पहुँचाने के लिए, भारतीय किसान संघ (बीकेएस) तहसील इकाई अमरवाड़ा के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने आज मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें स्पष्ट रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मक्का खरीदी या भावांतर योजना लागू करने की मांग की गई है।
लागत बढ़ी, दाम घटे: “हमारी मजबूरी समझिए!”
किसानों का दर्द साफ झलक रहा था। उन्होंने बताया कि बीज, खाद, बिजली और सिंचाई पर खर्च लगातार बढ़ रहा है, लेकिन जब उपज बेचने का समय आता है, तो मूल्य इतना गिर जाता है कि उनकी लागत भी नहीं निकल पाती।
भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “किसान दिन-रात मेहनत करके फसल उगाता है, लेकिन जब मुनाफा तो दूर, पूंजी भी वापस नहीं मिलती, तो वह क्या करे? सरकार को हमारी इस मजबूरी को समझना चाहिए और तत्काल या तो मक्का को MSP पर खरीदना चाहिए या भावांतर योजना के माध्यम से हमें राहत देनी चाहिए।”
नारों से गूंजा वातावरण: “समर्थन मूल्य पर मक्का लो नहीं तो भावांतर दो!”
किसान अपनी मांग को लेकर एकजुट और मुखर दिखे। अनुविभागीय अधिकारी अमरवाड़ा के प्रतिनिधि तहसीलदार सृष्टि डेहरीया को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते समय, किसानों ने जोरदार नारेबाजी की। “जय बलराम, जय जवान, जय किसान” और “हम अपना अधिकार मांगते नहीं किसी से भीख मांगते, समर्थन मूल्य पर मक्का लो नहीं तो भावांतर दो” जैसे नारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। यह नारा उनकी हताशा और अपने हक के लिए संघर्ष की भावना को दर्शाता है।
आंदोलन की चेतावनी और मंडी सचिव से भेंट
भारतीय किसान संघ ने साफ चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने शीघ्र ही मक्का की खरीदी या भावांतर योजना पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया, तो बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
ज्ञापन सौंपने के बाद, किसान प्रतिनिधियों ने कृषि उपज मंडी सचिव रामसेवक गुमास्ता से भी मुलाकात की और अमरवाड़ा मंडी में मक्का व अन्य फसलों की खरीदी के लिए नियमित और सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की।
मंडी सचिव ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि मंडी प्रशासन किसानों की सुविधा के लिए सभी व्यवस्थाएं उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने किसानों से अनुरोध किया कि वे अपनी उपज को नियमित रूप से मंडी में लाएँ ताकि उन्हें बोली के माध्यम से उचित मूल्य प्राप्त हो सके।
यह खबर स्पष्ट करती है कि मक्का किसान इस समय गंभीर आर्थिक दबाव में हैं और उनकी एकमात्र उम्मीद सरकार की ओर से तत्काल राहत पैकेज या खरीद नीति लागू करना है।