मौतों का आंकड़ा 20 पर पहुँचा,सिस्टम नहीं जागा ..

छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड: मौतों का आंकड़ा 20 पर पहुँचा — मंत्री का कैमरा बंद करवाने वाला इशारा सवालों के घेरे में…

✍️ विशेष रिपोर्ट : राकेश प्रजापति 

छिंदवाड़ा// मध्यप्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से मासूम बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। बुधवार को मृतकों की संख्या बढ़कर 20 तक पहुंच गई, जबकि दर्जनों बच्चे अब भी नागपुर और छिंदवाड़ा के अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।
राज्य सरकार दावा कर रही है कि वह सख्त कार्रवाई कर रही है, मगर ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है।

🔹 कलेक्ट्रेट में बैठक, मंत्री जी का इशारा — “कैमरा बंद करवाओ”
बुधवार को उप मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने छिंदवाड़ा कलेक्ट्रेट में प्रशासनिक अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के साथ बैठक की। बैठक के दौरान जब ड्रग इंस्पेक्टर ने दवा जांच प्रणाली की खामियां खुलकर सामने रखीं, तो स्वास्थ्य मंत्री ने असहज होते हुए अपने स्टाफ को इशारे से कहा — “कैमरा बंद करवाओ।”
इस दौरान ड्रग इंस्पेक्टर ने कहा —
“सर, भोपाल की लैब को अपडेशन की ज़रूरत है। वहां माइक्रो लेवल टेस्टिंग नहीं हो पाती और रिपोर्ट आने में बहुत वक्त लगता है।”
मंत्री का कैमरा बंद करवाने का यह इशारा अब पूरे मामले को और संदेहास्पद बना रहा है। सवाल उठता है कि जब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री पारदर्शिता की बात करते हैं, तो उन्हें कैमरा बंद कराने की ज़रूरत क्यों पड़ी ?

🔹 IMA से मुलाकात — मंत्री ने डॉक्टरों से कहा ‘यह हड़ताल का वक्त नहीं’
स्वास्थ्य मंत्री ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के जिला पदाधिकारियों से भी मुलाकात की।
IMA ने आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया था।
इस पर मंत्री ने डॉक्टरों से अपील की —
“यह हड़ताल का सही समय नहीं है, इससे डॉक्टरों की छवि पर असर पड़ेगा।”
IMA जिला अध्यक्ष डॉ. अल्पना शुक्ला ने बताया कि मंत्री के अनुरोध के बाद कार्यकारिणी बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

🔹 मेडिकल स्टोर संचालकों की उलझन — “सभी कफ सिरप बेचने पर रोक का दबाव” स्वास्थ्य मंत्री से जिला औषधि विक्रेता संघ ने भी मुलाकात की।
संघ के अध्यक्ष संतोष चौरे ने कहा कि प्रशासन उन पर सभी प्रकार के कफ सिरप की बिक्री रोकने का दबाव डाल रहा है।
“ऐसे में मरीजों को दिक्कत हो रही है, क्योंकि मौसम बदलने के कारण खांसी-जुकाम के मरीज बढ़े हैं। हमें स्पष्ट गाइडलाइन चाहिए कि कौन-सी दवाएं प्रतिबंधित हैं और कौन-सी नहीं।”
यह बयान सरकार की तैयारी और दिशा-निर्देशों की कमी को उजागर करता है।

🔹 मंत्री की अस्पताल यात्राएँ — लेकिन जवाबदेही अब भी धुंधली
छिंदवाड़ा पहुंचने से पहले राजेंद्र शुक्ल मंगलवार रात नागपुर पहुँचे थे।
उन्होंने GMC, एम्स और न्यू हेल्थ सिटी अस्पताल में भर्ती बच्चों से मुलाकात की और कहा कि
“इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्वयं इस मामले पर नज़र रख रहे हैं।”
हालाँकि, इन दौरे और बयानों के बावजूद अब तक किसी भी अधिकारी या दवा निर्माता पर स्पष्ट कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है।

🔹 तीन साल के वेदांत और दो साल की जयुषा की मौत — आँकड़े बने आँसू
मंगलवार को दो और मासूमों — 3 साल के वेदांत काकुड़िया और 2 साल की जयुषा यदुवंशी — ने नागपुर में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
इन मौतों के साथ मध्यप्रदेश में इस कफ सिरप से मरने वाले बच्चों की कुल संख्या 20 हो गई है।
हर मौत के साथ एक नया परिवार तबाह हो रहा है, लेकिन सरकार की कार्यवाही का असर अब तक सिर्फ़ ” लफ्फाजियों ” में दिखा है।

🔹 विश्लेषण — जब कैमरा बंद करना ‘पारदर्शिता’ की नई परिभाषा बन जाए
छिंदवाड़ा कांड अब सिर्फ़ स्वास्थ्य तंत्र की विफलता नहीं, बल्कि प्रशासनिक संवेदनहीनता का आईना बन गया है।
जब मंत्री कैमरा बंद कराने लगें, डॉक्टर हड़ताल की चेतावनी दें और मेडिकल स्टोर दवा बेचने से डरें —
तो यह साफ है कि सिस्टम खुद असमंजस में है।
राज्य सरकार दावा करती है कि “मुख्यमंत्री खुद नज़र रख रहे हैं”, लेकिन ज़मीनी स्थिति बता रही है कि किसी के पास स्पष्ट नियंत्रण नहीं है।
मौतें जारी हैं, और जवाबदेही अब भी गायब है।

🕯️ निष्कर्ष : 20 मौतों के बाद भी सिस्टम नहीं जागा
छिंदवाड़ा के ये 20 मासूम अब आंकड़े नहीं — सवाल हैं।
क्या कोई सरकार इनकी आत्मा को न्याय दे सकेगी?
या फिर हर बार की तरह, इस बार भी “एक्शन की घोषणा” ही “जवाबदेही” का विकल्प बन जाएगी ?