नवरात्रि विशेष: आज माँ ब्रह्मचारिणी की होती है पूजा

देशभर में चल रहे पावन पर्व नवरात्रि का आज दूसरा दिन है. इस दिन देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप, माँ ब्रह्मचारिणी, की आराधना की जाती है. यह स्वरूप तपस्या, संयम और वैराग्य का प्रतीक माना जाता है. भक्तजन आज माँ की पूजा-अर्चना कर उनसे आत्म-नियंत्रण, सदाचार और सफलता का आशीर्वाद मांग रहे हैं ….

कौन हैं माँ ब्रह्मचारिणी :- संस्कृत में ‘ब्रह्म’ का अर्थ है तपस्या, और ‘चारिणी’ का अर्थ है आचरण करने वाली. इस प्रकार, माँ ब्रह्मचारिणी का शाब्दिक अर्थ है “तप का आचरण करने वाली”. पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए वर्षों तक घोर तपस्या की थी. इसी कठोर तप के कारण उनका यह स्वरूप ‘ब्रह्मचारिणी’ कहलाया.

कैसा है माँ का स्वरूप :- माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत शांत और सौम्य है. वह श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं, जो उनकी पवित्रता को दर्शाता है. उनके दाहिने हाथ में तपस्या का प्रतीक जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल है. यह स्वरूप हमें दिखाता है कि सच्ची तपस्या बाहरी आडंबर से नहीं, बल्कि आंतरिक संयम से आती है.

पूजा विधि और महत्व :- माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा में सफेद और गुलाबी रंग के फूल, जैसे कमल या गुलाब, का विशेष महत्व है. उन्हें मिश्री, फल और पंचामृत का भोग लगाया जाता है.

  • संयम और वैराग्य: इस दिन की पूजा से मन में संयम, त्याग और वैराग्य की भावना विकसित होती है.
  • लक्ष्य प्राप्ति: माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना करता है, उसे अपने जीवन के हर लक्ष्य में सफलता मिलती है. यह हमें सिखाता है कि कठिन परिश्रम और तपस्या से ही कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है.
  • आत्म-शुद्धि: उनकी आराधना से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है और उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

नवरात्रि के इन नौ दिनों में हर दिन देवी के एक विशेष स्वरूप की पूजा की जाती है, और दूसरा दिन तपस्या और त्याग की देवी माँ ब्रह्मचारिणी को समर्पित है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि जीवन में सफलता पाने के लिए अनुशासन और कठोर परिश्रम कितना महत्वपूर्ण है.