जिले के दो वन मंडलाधिकारियों के तबादला होने पर विभाग के मैदानी अमले में ख़ुशी का माहौल है ! छोटे कर्मचारियों में गोपनीय रूप से जश्न मनाया केक काटकर अपनी ख़ुशी का इजहार किया ! नाम न बताने की शर्त पर कर्मचारीयों ने बताया की हमसे उक्त अधिकारीगण अवैध कार्य करने के लिए दव़ाब बनाया जाता था ! अब इनके जाने से हम लोग ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकेंगे ….
जिले के इतिहास में पहली बार होगा कि अधिकारियों के तबादले से कर्मचारियों ने जश्न मनाया हो , बताते चले की बीते दिनों वनवृत छिंदवाडा के दक्षिण वनमंडल के वन परिक्षेत्र सिल्लेवानी के खदबेली मे 4-कुण्डा भाग 2 क्रमांक 1659 में विभाग द्वारा ईमारती लकड़ी सागौन ब्रक्षों की अबैध कटाई वनमंडल उत्पादन के लिए अधिकारीयों की शह पर 20 से अधिक झाड काट दिए गए, जागरूक लोगो की शिकायत पर न चाहते हुए भी जाँच की गई जिसमे 11 ठूंठों के पास कुल सागौन कष्ट 57 नग 7.059 घन मीटर लकड़ी अवैध रूप से काटे जान पाया गया !
मजेदार बात यह थी की जिन अधिकारीयों कर्मचारियों पर झड काटे जाने का आरोप था ! वनमंडलाधिकारी उत्पादन अमित बंसल निकम ने उन्हें ही जाँच की जिम्मेदारी सौंपी ! बीते आठ महीने से इस पूरे प्रकरण की लीपापोती करने का काम वनमंडलाधिकारी उत्पादन अमित बंसल निकम और मुख्य वन-संरक्षक मधु व्ही राज कर रहे है ताकि इसके मुख्य आरोपी रेंजर श्रीमती अनामिका कनोजिया और डिप्टी रेंजर राजेश्वर कुशवाह को बचाया जा सके !
जाँच में इन निकम्मे अधिकार्रियो ने जो पंचनामा बनाया उसमे इन्होने विभाग के ही बीट प्रभारियों को पंचगण दर्शाते हुए स्थल पंचनाम बनाया ! अब इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की घटम स्थल पर इन निकम्मे अधिकारीयों को गाँव का कोई व्यक्ति नही मिला जिसे गबाह बनाया जा सके ? जाँच रिपोर्ट और पंचनामे को देख कर वनमंडलाधिकारी उत्पादन अमित बंसल निकम और मुख्य वन-संरक्षक मधु व्ही राज भी चुप्पी साधे हुए है !
इस बात से यह स्पस्ट हो जाता है कि वनमंडलाधिकारी उत्पादन अमित बंसल निकम और मुख्य वन-संरक्षक मधु व्ही राज की जानकारी में ही अबैध कटाई को अंजाम दिया गया है ?
जानकार बताते है की अभी तक मुख्य वन-संरक्षक मधु व्ही राज के द्वारा इस प्रकरण में कोई ठोस कार्यवाही नही की गई है ! जबकि होना तो यह चाहिए था की मुख्य वन-संरक्षक मधु व्ही राज को अपने कर्तव्यों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करते हुए जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों पर जो इसके लिए जिम्मेदार थे उन पर सागौन के वृक्षों को बिना मार्निंग एवं बिना शासकीय स्वीकृति आदेश के काटे जाने पर वन अधिनियम धारा 26/1/क / भारतीय वन अधिनियम 1927 के अंतर्गत अपराध कायम करना चाहिए था ! ऐसे रीड विहीन मुख्य वन-संरक्षक मधु व्ही राज से ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए….?