लाडली लक्ष्मी और लाडली बहना के सम्मान के साथ ..

त्वरित टिप्पणी ….

छिंदवाड़ा जिले के लिए इतिहास में आज का दिन किसी कलंक से कम नहीं है ! मामला मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह कार्यक्रम में 1334 जोड़ों का विवाह आज संपन्न हुआ ! जिसमे घटिया नकली और गुणवत्ताहीन सामग्री देख जिले के प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने मंच से ही उक्त सामग्री की जांच करने की बात कही ! इसे छिंदवाड़ा जिले के लोग कभी नहीं भुला पाएंगे! इसमें नगर पालिका निगम के आला अधिकारी और जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा इस कलंक को जिले के नाम पर मढ़ दिया गया है ! चंद पैसों की खातिर जिन्होंने इस कार्य को अंजाम दिया यह कृत्य पूरी राजनैतिक और प्रशासनिक व्यवस्था के निकम्मेपन को दर्शाता है ? क्या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (मामा) के लगभग 18 साल के कार्यकाल में इस तरह की वैकल्पिक व्यवस्थाएं निर्मित हो चुकी हैं ? जो जनहित के कार्यों पर खर्च होने बाले जनता के पैसे का इस तरह दुरुपयोग कर भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारीयों-कर्मचारियों और राजनेताओं तक इसकी खेप पहुंचाने का काम कर रहे है ? मामला संगीन और बेहद गंभीर है ….राकेश प्रजापति

मामला शर्मनाक और तब हो जाता है कि बच्चियों को घाटिया और नकली सामग्री वितरित करने के लिए प्रदेश सरकार के मंत्री से लेकर जिला भाजपा के सभी छोटे-बड़े पदाधिकारी मौजूद थे ! जिनकी सरकार लगभग 18 सालों से प्रदेश पर काबिज है ! नगर पालिका निगम में सरकार ना होने के बावजूद भी चुने  हुए जनप्रतिनिधियों को प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से नजरअंदाज और नीचा दिखाकर श्रेय लेने का काम कर रहे हैं !  इस कार्य के लिए  जिला प्रशासन के आला अधिकारी कर्मचारियों को अपने मानिंद बेजुबान मवेशियों की भांति हांकने का काम कर रहे हैं ? क्या ऐसी रीडहीन पंगु प्रशासनिक व्यवस्था से जनता को कोई उम्मीद रखना उचित होगा ! यह सवाल हम जनता पर ही छोड़ देते हैं …?
ख़ास बात तो यह है की जिले की कलेक्टर खुद एक महिला है और उनके रहते बच्चियों की शादी में दी जाने वाली सामग्री निहायती घटिया और नकली किस्म की वितरित होना अपने आप में सैकड़ों सवालों को जन्म देता है ? तो क्या यह समझा जाए कि उनका जिला प्रशासन के अन्य विभागों पर नियंत्रण नहीं है या फिर अन्य विभागों के आला अधिकारी-कर्मचारी उन्हें या उनके आदेशों को नजरअंदाज कर देते हैं महिला समझकर ? अबला समझकर ? हमें यह नही भूलना चाहिए की चार दिन पहले की अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर बड़ी-बड़ी बाते जिले से लेकर प्रदेश और देश के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी हुई !

तो क्या यह सब बेमानी है ? इन बातों का समाज पर धरातल नहीं ? तो क्या यह सब बातें हवा में तैरती नजर आती हैं ! ऐसा नहीं है महिलाओं को समाज में अपने आप को स्थापित करना होगा ! तभी सार्थक परिणाम समाज में देखने को मिलेंगे ! हम ये कैसे भूल रहे है की आज ही के दिन तो देश की दो महिलाओं ने ऑस्कर अवॉर्ड प्राप्त कर देश का नाम रोशन किया और महिलाओं को अबला नहीं बल्कि सशक्त ,समझदार और हर क्षेत्र में पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर चलने की काबिलियत दिखाने का काम किया है ! फर्क समझना होगा .. ?

समझना यह भी होगा की मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत आज वैवाहिक जीवन में कदम रखने वाली 1334 बहन-बेटियों के साथ छल हुआ है ?

समझना यह भी होगा कि इस छल-कपट और अधिकारों से वंचित रखने वाले वे कौन लोग थे और उनकी मंशा क्या थी ?

समझना यह भी होगा कि प्रदेश में लाडली लक्ष्मी और अब लाडली बहना के सम्मान के साथ निकम्मे प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारी और छुटभैये राजनेता किस तरह का व्यवहार कर रहे हैं …. ?