आदिवासियों को पातालकोट का मालिक बना गए स्व: डी के प्रजापति 

जिले के आदिवासी बाहुल्य पातालकोट में भारीया जिस तरह अपनी जिन्दगी जी रहे थे उसकी व्यथा हमेशा ही आदिवासियों के लिए लड़ने बाले स्व: डी के प्रजापति को खलती थी ! उन्होंने ने ही हिन्द मजदूर किसान पंचायत के बैनर तले सबसे पहला ज्ञापन जिले के तत्कालीन कलेक्टर महेश चन्द्र चौधरी को दिया था ! उसके बाद से लगातार जिला कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री ,राज्यपाल  और अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष वर्तमान में छत्तीसगढ़ की महामहिम राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके से अनेको बार चर्चा कर अवगत कराया था ,  हिन्द मजदूर किसान पंचायत के प्रदेश महासचिव होने के नाते  वे लगातार आदिवासियों मजदूरों , शोषित पीडितो की लड़ाई लड़ते-लड़ते स्व: डी के प्रजापति तो जिन्दगी की बाजी हार गये , पर उनके ही प्रयासों ने आज जिले के आदिवासियों को पातालकोट का मालिक बना गए….राकेश प्रजापति 

जल ,जंगल और जमीन के वास्तविक मालिक आजाद भारत में बीते 70 सालों से मुफलिसी की जिन्दगी जीने के लिए मजबूर थे जबकि भारत के संविधान में उन्हें हेविटेट राइट्स के तहत मालिक का दर्जा दिया गया है ! उन्हें ये अधिकार देने के लिए जिले के कलेक्टर को इसका अधिकार दिया गया है !

छिंदवाड़ा जिले में अनुसूचित जनजाति हित में देश का पहला और सबसे बड़ा फैसला किया गया है ! छिंदवाड़ा जिले की आदिवासी तहसील तामिया के विश्वविख्यात पातालकोट को भारत देश का पहला गोंडवाना भूमि का तोहफा बना गया है !प्रदेश केछिन्दवाडा पातालकोट में आदिवासी भारिया जनजाति का बसेरा है । लगभग 80 वर्ग किलोमीटर के पातालकोट के 12 गांव में भारिया जनजाति निवासरत है । जल जंगल जमीन पर उनका जीवन आधारित है। सरकार ने यहां की भारिया जनजाति को पातालकोट का मालिक बना दिया गया है ! उन्हें पातालकोट की 9276 हेक्टर जमीन दे दी गई है !

विशेष पिछड़ी जनजाति के उत्थान में सरकार ने यह फैसला लिया है ! दुनिया के अजूबे छिंदवाड़ा जिले की तामिया तहसील में 3000 फीट गहरी खाई में 80 वर्ग किलोमीटर में बसे पातालकोट के 12 गांव में रहने वाले भारिया आदिवासी अब पातालकोट के मालिक हो गए हैं !  देश का यह आदिवासियों के हित में पहला कदम है ,जब आदिवासियों को इतनी बड़ी जमीन का मालिक बना दिया गया है !
पातालकोट में सदियों से भारिया आदिवासियों का बसेरा है छिंदवाड़ा देश का ऐसा पहला जिला भी बन गया है जहां प्रशासन ने जनजाति वर्ग के हैबिटेट राइटस तहत पातालकोट को भारिया जनजाति के नाम ही कर दिया है !

भारिया बने जल जंगल और जमीन के मालिक :- पातालकोट के जल जंगल जमीन पहाड़ और जलाशय सहित प्राकृतिक संपदा पर अब भारियों का हक होगा ! पातालकोट में यदि सरकार को कोई भी निर्माण करना हो तो यहाँ के भारियों से अनुमति लेनी होगी ! पातालकोट की जमीन की खरीदी बिक्री नहीं होगी ! देश के इतिहास में पिछड़ी विशेष जनजाति को पहली बार इतना बड़ा अधिकार देने वाला छिंदवाड़ा जिला देश का पहला जिला हो गया है !

देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड ने पातालकोट के विशेष पिछड़ी जनजाति भारिया को यह अधिकार पत्र जबलपुर में एक कार्यक्रम में सौंप चुके हैं , उन्हें केवल राज्य ही नही बल्कि केंद्र सरकार का भी आधिकारिक पत्र दिया जा चुका है !

पातालकोट की 9276 हेक्टेयर भूमि में 8326 हेक्टेयर वन भूमि और 950 हेक्टेयर राजस्व भूमि शामिल है पातालकोट की सभी ग्राम पंचायतों के साथ ही वन विभाग ने भी यह जमीन छोड़ दी है । अब यहां की जमीन ही नहीं बल्कि जंगल के मालिक भी भारिया आदिवासी होंगे , जो अपनी जरूरत के लिए वनों का भी समुचित दोहन कर सकेंगे ! इस कदम का उद्देश्य भारिया जनजाति का उत्थान है ! जो जल जंगल जमीन के आधार पर अपना जीवन जीती है ! उससे उनकी मान्यताओं को अधिकार मिलेगा और वे पातालकोट को संरक्षित रख पाएंगे !

भारिया जनजाति सदियों से पातालकोट में निवास कर रही है ! पातालकोट के 12 गांव में 611 भारिया परिवार निवासरत है इसके लिए केंद्र सरकार ने भारिया जनजाति विकास प्राधिकरण का गठन किया था, जिसके माध्यम से इस जानजाति के उन्नयन के कार्य होते थे और अब जल जंगल जमीन के संरक्षण के सिद्धांत पर पूरा पातालकोट ही भार्या जनजाति को दे दिया गया है ! यह सब कुछ हेविटेट राइट्स सेक्सन नियम -3 (1) (0) भारिया पीवीजीटी दिया गया है । अब पातालकोट के 12 गांव में भारिया जल जंगल जमीन के उपयोग के अधिकारी होंगे और वे इसका संरक्षण भी करेंगे ।

भारिया जनजाति को पातालकोट का मालिक बना दिया गया है । भारिया जनजाति के सामुहिक फैसले से ही यहां सरकार के विकास कार्य होंगे और मालिक कोई अकेला एक नहीं बल्कि यहां निवासरत भारिया जानजाति के लोग होंगे । यहां के 611 परिवारों के नाम शामिल किए गए हैं । पातालकोट के 12 गांव में जदमादल , हर्रा कछार खमारपुर , सहराप जगोल , सूखा भंडार हरमऊ , घृणित , गैल डुब्बा , घटलिंगा ,गुड़ी छतरी सालाढाना, कौड़िया ग्राम शामिल है

विशेष पिछड़ी जनजाति भारिया के उत्थान के लिए यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के आदेश पर तत्कालीन कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन , वन विभाग के वन मंद्लाधिकारियों  सहित यूएनडीपी के हरिओम शुक्ला डॉक्टर महेश गूँजेले आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त एन एस वरकडे के प्रयासों से तैयार किया गया था जिसमें भारियों को पातालकोट के जल जंगल जमीन पहाड़ और संसाधनों का मालिक बना दिया गया है !