संस्कृति और संविधान को बचने की जिम्मेदारी युवाओं की ..

हमारा छिन्दवाड़ा और हम सभी बड़े सौभाग्यशाली है कि श्री बादल भोई का जन्म छिन्दवाड़ा में हुआ, लेकिन आज उनके बलिदान दिवस पर यह सोचने की जरूरत है कि वे कैसा भारत चाहते थे, उनका सपना था कि देश न्याय और संविधान से चले, लेकिन आज धर्म और जाति को आधार बनाया जा रहा है। आदिवासी समाज पर सबसे ज्यादा अत्याचार मप्र में हो रहे हैं। आज आवश्यकता है कि युवा पीढ़ी को सच्चाई का साथ देना होगा, क्योंकि संविधान अगर गलत हाथों में होगा तो हमारे प्रदेश और जिले का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा..

नन्हीं कलाकर दीपिका वाडिवा की प्रस्तुति को कमलनाथ ने खूब सराहा और नकद 11 हजार रुपए के पुरस्कार देते हुए उसकी पढ़ाई के प्रबंधन को लेकर भी आश्वस्त किया। अपने उदबोधन में श्री कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनते ही छिन्दवाड़ा में एक भव्य आदिवासी भवन का निर्माण किया जाएगा साथ ही खजरी रोड स्थित ब्रिज का नामकरण शहीद श्री विरसा मुंडा जी के नाम पर होगा। ये उद्बोधन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बदल भोई के बलिदान दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा की देश के युवको की ये जिम्मेदारी है की वे अपनी संस्कृति और संविधान को बचने का काम करे ..

जिला कांग्रेस आदिवासी प्रकोष्ठ के तत्वावधान में स्थानीय दशहरा मैदान में आयोजित शहीद श्री बादल भोई बलिदान दिवस के कार्यक्रम में आदिवासी राजाओं की वीरगाथा, देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले वीर शहीदों के बिलदान की गाथा कलाकारों के द्वारा प्रस्तुत की गई। सभ्यता, संस्कृति और आदिवासी परिधानों की झलक यहां देखने को मिली। आदिवासी सभ्यता और संस्कृति से जुड़े एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। आदिवासी लोक गीतों पर पारम्परिक परिधानों में कलाकारों ने नृत्य प्रस्तुत कर समा बांध दिया। आदिवासी संगीत की सुमधुर धुन पर नन्हें और युवा कलाकारों ने अपनी पारम्परिक वेशभूषा में रैम्प पर वाक किया। युवाओं की टोली ने अपने वाद यंत्रों की थाप पर शैला नृत्य की प्रस्तुति देकर उपस्थित हजारों दर्शकों को दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर कर दिया। आदिवासी कलाकारों के साथ पूर्व सीएम श्री कमलनाथ भी अपने आपको थिरकने से नहीं रोक पाये। नन्हीं कलाकार दीपिका वाडिवा ने मंच से अपने धर्म, संस्कृति को बचाने का संदेश दिया साथ ही सभी से अपने धर्म और संस्कृति से जुड़े रहने का आग्रह भी किया। श्री बादल भोई के परिवार के सदस्य पूरन परानी सहित अन्य सदस्यों ने पूर्व सीएम  कमलनाथ व सांसद  नकुलनाथ का पारम्परिक परिधानों से स्वागत किया। नेताद्वय के हस्ते श्री बादल भोई के परिवार के सदस्यों का शॉल श्रीफल से स्वागत किया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री बादल भोई के छायाचित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित कर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।

जिले के सांसद श्री नकुलनाथ ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, अमर शहीद श्री बादल भोई का जन्म हमारे छिन्दवाड़ा जिले की परासिया तहसील के पगारा जागीर के ग्राम डुंगरिया तीतरा में लगभग सन् 1845 में हुआ। स्वतंत्रता संग्राम में श्री बादल भोई का अविस्मरणीय योगदान रहा है। सन् 1923 में तामिया में एक सभा आयोजित की गई थी जिसमें बादल भोई जी के नेतृत्व में हजारों आदिवासियों ने भाग लिया और देश की आजादी का संकल्प लिया। श्री नकुलनाथ ने अपने उदबोधन में आगे कहा कि ये सामाजिक कार्यक्रम का मंच है इसीलिए ज्यादा राजनीतिक बात नहीं करना चाहता, किन्तु आदिवासी भाइयों के अधिकार, उनकी जमीनों को सुरक्षित रखने का ऐतिहासिक निर्णय केवल कांग्रेस ने लिया है। हमारे आदिवासी भाइयों और बहनों का अधिकार केवल कांग्रेस की वजह से सुरक्षित है। अंत में श्री नकुलनाथ ने जय जुहार जय सेवा के साथ अपने उदबोधन को विराम दिया।

नगर पालिक निगम महापौर विक्रम अहके ने अपने उद्बोधन में कहा कि 40 करोड़ रुपयों की राशि आदिवासी बादल भोई संग्राहलय के लिए अपने मुख्यमंत्रीतृत्व कार्यालय में श्री कमलनाथ जी ने दिये जिससे आज भव्य आदिवासी संग्रहालय बनकर तैयार हो रहा है। खजरी चौक पर रानी दुर्गावती की प्रतिमा स्थापित करने से लेकर विश्विद्यालय का नाम राजाशंकर शाह करने, पांढुर्ना विधायक नीलेश उइके के पिता स्व. श्री पूषाराम उइके जी की प्रतिमा स्थापित कराने और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र पातालकोट के नाम पर छिन्दवाड़ा से दिल्ली तक चलने वाली ट्रेन का नाम पातालकोट एक्सप्रेस करने का श्रेय भी श्री कमलनाथ जी को जाता है।