बीते 4 वर्ष के दौरान देश में टाइगरों की ग्रोथ में कमी ..

बाघों की संख्या को लेकर वन्यजीव और पर्यावरणबिद काफी उत्सुक थे परन्तु जो आंकड़े आये है उनसे निराश कर देने बाला रहा ! आज जारी आंकड़े बताते हैं कि बीते 4 वर्षों के दौरान देश में महज 200 बाघों की ग्रोथ हुई है, जो बीते 16 वर्षों में सबसे कम है। नए जारी आंकड़ों को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। पूर्व विधायक अजय सिंह ने कहा है कि बीते चार सालो में बाघों की ग्रोथ सबसे कम हुई है। इसे गंभीरता से लेना होगा….

पर्यावरणविद और वन्य जीवों के जानकार एवं पूर्व विधायक अजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कर्नाटक के मैसूर से जारी बाघों की संख्या पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि पीएम के आंकड़े बताते हैं कि बीते 4 वर्षों के दौरान देश में महज 200 बाघों की ग्रोथ हुई है, जो बीते 16 वर्षों में सबसे कम है। इससे साफ है कि कांग्रेस के शासन काल मे लांच किए गए प्रोजेक्ट टाइगर की अवधारणा तथा कड़ी मेहनत से जो उपलब्धि हासिल हुई थी, वह अब खतरे में है।

पूर्व विधायक अजय सिंह ने कहा कि इसका कारण सरकार की लापरवाही, भ्रष्टाचार और जंगलों के आसपास रहने वाले आदिवासियों व ग्रामीणो पर हो रहा अन्याय है। प्रधानमंत्री और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को अपनी पीठ ठोंकने की बजाय बाघ वृद्धि दर में आई कमी पर आत्मचिंतन करना चाहिए। सिंह ने सरकार से पिछले 4 वर्षों में हुई बाघों की मौत के आंकड़े जारी करने के साथ उनके संरक्षण और संवर्धन के उपाय करने की मांग की है।

ज्ञात हो कि भारत में बाघों की घटती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन प्रधानमत्री इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार ने 1 अप्रैल 1973 को प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया था। उस समय यह प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर थी, लेकिन इस प्रोजेक्ट की बदौलत देश मे बाघों की संख्या बढ़ने लगी। साल 2006 में भारत में कुल 1411 बाघ थे, जो 2010 मे 1706 हो गए। फिर 2014 में 2226 तथा 2018 में इनकी तादाद 2967 हो गई। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में 3167 बाघ होने की जानकारी दी गई है।

जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 2010 में 295, 2014 में 520 और 2018 में 721 बाघ बढ़े। जबकि बीते 4 वर्ष के दौरान देश में टाइगरों की संख्या में महज 200 बढ़ी है। जो कि अब तक की सबसे धीमी ग्रोथ मानी जा रही है। मिडिया रिपोर्ट